वातावरण बनवले राखऽ भाई

by | Dec 5, 2010 | 0 comments

– जयंती पांडेय

बाबा लस्टमानंद के संघतिया एगो बड़हन अखबार में फोटोग्राफर हवें. बड़ भाई दाखिल हवें. एक दिन देस में भ्रष्टाचार के लेके बड़ा चिंता जाहिर कइलें. कवनो काम नइखे होत. उनकर दुख देखि के बाबा कहलें

हे भाई सुनऽ. तहरा बेसी चिंता कइला से कुछ होई ना, उल्टे आउरी बिगड़ जाई. खास कऽ के वातावरण बिगड़ जाई. आज के जमाना में वातावरण के बड़ा महत्व बा. वातावरण बिगड़ला पर चारू ओर अशांति हो सकेला. लोग आपन धरम ना मानी तऽ अशांति होई आ अशांति होई तऽ वातावरण बिगड़ जाई. अब देखऽ, सरकारी कर्मचारी के धर्म हऽ कि ऊ काम कऽ के ओकरा बाद में पईसा लेवे. काम कर के पईसा लिहला में कवन संकोच बा ? एह से काम करे वाला आ करवावे वाला दूनो के बीच फ्रेंडली रिलेशन बनल रहेला. एह में केहू से डेराये के दरकार नइखे. जनता शिकायत करे ना जाई. ओकरा काम करवा के चढ़ावा चढ़ावे के लत बा. कोर्ट में, इस्कूल में, चाहे मंदिर में. सब जगहा जनता के चढ़ावा चढ़ावे के आदत पड़ल बा. ऊ तोहरा विषय में केहू से कहे ना जाई. घूस लिहल सरकारी कर्मचारी के मौलिक अधिकार हवे. उल्टे ना लिहल चाहे ईमानदारी बरतल पाप हऽ. तहरा पहिले जे लोग रहे ऊहो लेत रहे आ तहरा बाद जे आई ऊहो ली. एह से तूं संकोच छोड़ऽ आ घूस ले के ई लोक सुधार लऽ. ऊ लोक के चिंता करे वाला आदमी ना होला. ई मत सोचऽ कि जनता तहरा के का कही ? ई कुर्सी पर से जे गइल, ऊ घूस ले के गइल. अपना पुरखन के आत्मा के शांति खातिर तूं घूस लऽ. घूस एक प्रकार से जतना के ऊपर तोहार करजा बा. ई करजा जनता पिछला जनम में तोहरा से ले ले रहे. इहे धरम से तऽ तूं ई कुर्सी के प्राप्त कइलऽ. सरकारी नौकरी में सब केहू खाली हाथ आवेला आ विदेशन में खाता खोलवा के जाला. आजु जे कुर्सी पर तूं बाड़ऽ ओहपर काल्ह केहू दोसर रहे आ काल्हु केहू दोसर रही. एही से घूस लेवे में संकोच मत करऽ. भाई तूं ई पद के
नइखऽ, ना ई पद तहार हऽ. ई दुनिया के रिवाज हऽ. तूं ना लेबऽ त दोसर केहू ले ली. तूं आपन ई काम भगवान के समर्पित कऽ के करऽ. देखऽ ओह से तहार संकोच मिट जाई आ घूसखोरी में आनंद आवे लागी.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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