कई गो बात जेपर कवनो बस ना चले

by | Sep 26, 2012 | 0 comments

– जयंती पांडेय

हमनी के जीवन से कई गो बात सटल बा जेपर आदमी के आपन कवनो हक नइखे। जइसे आपन पड़ोसी, आपन माई बाप आ आपन नांव। ई बस हो जाला एकर चुनाव ना कइल जा सके। लेकिन आज के दुनिया में पहिलका दू गो बात त आपके अधिकार में नइखे लेकिन नांव पर अब हक बा। भदेस नांव बा त दन दे बदल दऽ। अखबारन में त नांव बदले के एगो कालमे खुल गइल बा। लेकिन एहु में एगो बड़ा आश्चर्यजनक बात बा कि नांव बदले वाला 98 प्रतिशत लोग मर्द ह, मेहरारू नांव बदलबे ना करऽ सन। मेहरारू नांव काहे ना बदलऽ सन ई एगो रिसर्च के विषय बा। नांव बदले में हमनी के नेतो लोग पीछे नइखे। उनकर नांव मशहूर हो गइल बा त लोग आपन नांव नइखे बदलत आ ई गोस्सा शहरन पर उतारऽता। अब देखऽ बम्बई के नांव मुम्बई हो गइल आ मद्रास चेन्नई हो गइल, बंगलोर पर तो रोज विवाद होला कि बंगलूर हऽ कि बंगलुरू। बंगाल बंगो हो गइल। अब देखऽ कि बंगाल के बाहर बंगाली डाक्टर बंगो डाक्टर हो जहिए सन आ बंगाली रसगुल्ला बंगो रसगुल्ला कहाए लागी आ बंगाल के जादू बंगो जादू हो जाई। अब कोलकाता जा त नया हरानी। ममता दीदी जब रेलमंत्री भइली त इहवां के मय मेट्रो रेल के स्टेशनन क नांव बदल दिहली। अब नांव हो गई उत्तम कुमार आ मास्टर दा वगैरह-वगैरह। एक इओर लोग दनादन नांव बदलऽता दोसरका इओर केहू के नांवे नइखे मिलत कि नाती पोता के का नांव दी। अरे दू चार शहर के टेलीफोन डायरेक्टरी मंगवा लेतऽ त बात बनि जाइत। कई बेर ढेर प्रचारित नावो से बड़हन प्राबलम हो जाला। अबहीं अण्णा के नांव चलल बा। कई गो मेहरारू अपना बेटन के नांव अण्णा ध दिहले बाड़ी सन। अब आगे जा के कवनो लइकी अण्णा से कइसे बियाह करी? काहे कि अण्णा के माने होला भइया। इहे ना नांव के ले के कई गो आउर प्राबलम बा। जइसे अलगू राम के बेटी सीता राम आ मनमोहन कृष्ण के बेटी राधा कृष्ण। अब ई नांव के कई गो मुस्टंडा मरद हमनी के गांव जेवार में भेंटा जाई आ उहे भके जे ई लोगन के ध लिहल त बीच बजार में जूता परे.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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