ज्योतिषी, वास्तु शास्त्री पंडित वैभव नाथ शर्मा

by | Nov 8, 2011

आजु ज्योतिषी आ वास्तु शास्त्री पंडित वैभव नाथ शर्मा के नाम से के परिचित नइखे. एगो अइसन नाम जिनका पर देश भा विदेश के अनेको लोग के अटूट विश्वास बा. आ विश्वासो अइसन कि कवनो सांसारिक समस्या होखो.. ओकर सरल सहज आ चमत्कारी निदान चुटकी में, आ उहो कवनो बड़हन खरचा का बिना.

श्री श्री काशी विश्वनाथ आ माँ अन्नपूर्णा में आगाध श्रद्धा विश्वास राखे वाला पंडित वैभव नाथ शर्मा जी के जनम 3 अगस्त 1983 के काशी के सम्मानित आ पिछला 400 साल से ख्यातिलब्ध ज्योतिषी आ धर्मावलम्बी परिवार में भइल रहे. ज्योतिष के क्षेत्र में पंडित वैभव के परपितामह महामहोपाध्य पंडित श्री अयोध्यानाथ शर्मा के योगदान के भुला सकेला, जे खुद ज्योतिष के कई गो महान, प्रमाणिक ग्रंथ रचलीं आ देश के ज्योतिष के अइसन अइसन धुरंधर विद्वान दिहलीं जे आगा चल के देश विदेश में भारत के नाम रोशन कइल. ज्योतिष के प्रमाणिक ग्रन्थ “फल दीपिका” के रचियता श्री राम जतन ओझा उनुके शिष्यन में से रहलें. पंडित वैभव शर्मा के पिता श्री प्रजानाथ शर्मा बनारस के प्रतिष्ठित राजनेता आ समाजसेवी हईं. पंडित वैभव अपना पितामह स्वर्गीय श्री उपेन्द्र नाथ शर्मा, जे प्रसिद्द राजवैद्य रहनी, के आपन प्रेरणा स्तोत्र मानीले. इहाँ के मानना बा कि परिवार के बड़ बुजुर्गन आ माता पिता के कृपा आ आशीर्वादे से ई सफलता हासिल भइल बा.

बाकिर सफलता के ई राह अतना आसानो ना रहल. एगो सवाल का जवाब में पंडित वैभव शर्मा बतवनी कि संपन्न परिवार में जन्म भइला का चलते बचपन त बहुते समृद्ध माहौल में बीतल बाकिर बड़ भइला पर अपना पिता जी के निष्ठावान राजनीति आ समाजसेवा का चलते विरासत में अभावे मिलल. बाकिर वैभव शर्मा अपना विचार पर एह बाति के असर ना पड़े दिहलन आ अपना पिताजी से प्रेरणा लेत आपन शुद्ध विचार आ कर्म निरंतर जारी रखलन आ कमे उमिर में पिता का साथे हाथ बँटावत वास्तु शास्त्र का सहारे आपन पारिवारिक ज़िम्मेदारी सम्हारे लगलन.

बनारस में रहते बढ़िया ख्याति अर्जित करे लगले त स्थापित पत्र पत्रिकन में वास्तु शास्त्र से जुड़ल लेख लिखे लगलन. एह में दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, गांडीव आदि अखबारो शामिल रहल. फेर एक दिन दिल्ली से एगो परिचित का माध्यम से फोन आइल कि ऊ लोग मोबाइल पर भविष्य बतावे वाला एगो ज्योतिष कॉल सेंटर में वास्तु के प्रशिक्षक बनावल चाहत बाड़े. एक बेर आ के देख लीं, पसंद आ जाव त करीं ना त आवे जाये के खरचा संस्था दे दी. अब एक तरफ परिवार के बढती ज़िम्मेदारी रहे आ दोसरा तरफ बनारस में जमत काम बिलावहू के डर रहल. तबहियो पंडित वैभव शर्मा तय कइलन कि एक महीना खातिर ई रिस्क लिहल जा सकेला. कुछ ना जमल त बाबा भोले के नगरी बड़ले बा. से दिल्ली जाये के तइयारी शुरू कर दिहलन आ जेब में कुल 1100 रुपये लिहले चल दिहले दिल्ली खातिर. दिल्ली अइला पर काल सेंटर वाला काम इचिको नीक ना लागल. सब कुछ नियम, सिद्धांत का उलटा रहे. एह पर पंडित वैभव शर्मा काम छोड़ दिहली.

एह बीचे इनकर आपन संबंध कुछ मीडिया वालन से बन गइल रहे. ओही में से एक आदमी पंडित वैभव जी से आग्रह कइल कि का आप हमनी का चैनल पर या की क्या आप हमारे चैनल पर ज्योतिष कार्यक्रम दे सकीलें ? टीवी के कवनो अनुभव ना रहला का बावजूद पंडित वैभव शर्मा हँ कह दिहलीं आ एगो ऊ दिन रहल आ एगो आझु के दिन बा. पंडित जी फेर पीछे मुड़ के ना देखली. आ अब पंडित वैभव शर्मा के नाम कवनो परिचय के मोहताज नइखे. अब त आलम ई बा कि जनता आ दर्शकन का मांग पर इनका नाम पर कार्यक्रम बनावल जात बा. आजु देश के सगरी प्रमुख राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय टीवी आ रेडियो चैनल पर वैभव जी के कार्यक्रम आवत बा जवना में IBN7, इंडिया टीवी, सहारा समय राष्ट्रीय आ सगरी प्रादेशिक, महुआ न्यूज़ आ महुआ मनोरंजन, रेडियो मिर्ची, आस्था, श्रद्धा, साधना, इंडिया न्यूज़ वगैरह के नाम खास बा.

वैभव जी के कहना बा कि यदि आदमी के खुद में आस्था बा आ अपना क्षमता में पूरा विश्वास बा त कुछुओ असंभव नइखे. अपना माता-पिता, बड़ बुजुर्गन के सम्मान कइल आ शुभ उर्जा का साथ सही दिशाईं निरंतर प्रयास कइला पर हर आदमी के देरे से सही बाकिर सफलता मिलल निश्चित बा. पंडित वैभव नाथ शर्मा जी के निष्ठा भरल संघर्ष गाथा इनका लाखो प्रशंसकन खातिर एगो प्रेरणा आ मार्गदर्शन के माध्यम बा.

पंडित वैभव शर्मा एक बेर काशी के नाम आ परचम पूरा दुनिया में लहरा दिहलें. प्रणाम बा एह नौजवान जयोतिषि आ वास्तु विशेषज्ञ के.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


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