भोजपुरी सिनेमा के सफर पचास साल से लमहर हो गइल. एह मौका पर पिछला दिने भोजपुरी सिनेमा के दू गो ध्रुव, मनोज तिवारी आ रविकिशन, के राय जाने सुने के मौका मिलल. मनोज तिवारी के कहना रहे कि समय आ गइल बा कि भोजपुरी सिनेमा अपना तिलिस्म से बहरी निकले आ वास्तविकता के धरातल पर अपना के खड़ा करे. एकरा प्रयोगधर्मिता से परहेज छोड़े के पड़ी. कहलन कि हमनी के मौका मिलल कि एकरा के आगा ले चलल जाव बाकिर हमनी का एकरा के अउरी पाछा ले गइनी सँ. भोजपुरी सिनेमा आपन चेहरा बदलल चाहत बा बाकिर एह राह में रोड़ा बहुत बा. पहिले भोजपुरी सिनेमा बनावल एगो मिशन रहत रहे अब कमाई के जरिया बन गइल बा. हमनी के मिल बइठ के एकरा के सही राह पर ले आवे के प्रयास करे के पड़ी. भोजपुरी गीत संगीत से आजु के सिनेमा के सिनेरियो मेल नइखे खात. लागेला कि जबरिया ठूंसल गइल बा. सिनेमा के कथानक पर ध्यान नइखे दिहल जात. जमीनी सच्चाई आजु भोजपुरी सिनेमा में झलकत नइखे. मनोज तिवारी के कहना बा कि दर्शक त आजुवो अँकवारी भरे के तइयार बाड़े, मगर केहू आगा त बढ़े.
रविकिशन मानत बाड़े कि अपना पचास साल का सफर में भोजपुरी सिनेमा कई तरह के उतार चढ़ाव देखलसि. दू बार त बुझाइल कि अब मर गइल बा भोजपुरी सिनेमा बाकिर हर बेर भोजपुरी सिनेमा फेर जिन्दा हो के खड़ा हो गइल आ आजु हिन्दी सिनेमा के जोरदार टक्कर दे रहल बा. भोजपुरी सिनेमा के मौजूदा तिसरका दौर का बारे में बतावत रविकिशन, बिग बी अमिताभ बच्चन का कहना से भोजपुरी के महानायक, बतवले कि उनुका अबहियो याद बा जब साल २००१ में एक दिन बृजेश त्रिपाठी रविकिशन के मोहनजी प्रसाद का लगे ले गइले आ “सईंया हमार” फिल्म से उनकर सफर शुरु भइल. फिल्म खूब चलल आ ओकरा बाद जे रविकिशन के फिल्मन के सफलता के दौर चलल आ लगातार चार गो हिट फिल्म का बाद भोजपुरी सिनेमा के बड़हन बाजार लउके लागल. आजु हाल ई बा कि भोजपुरी सिनेमा बिहार यूपी के सरहद पार कर के पूरा दुनिया आ विदेशो तकले आपन कमाल देखा रहल बा. ह ई जरुर बा कि टीवी का चलते महिला वर्ग सिनेमा से दूर गइल बा तबहियो अइसनका कई गो फिल्मन के उदाहरण सामने बा जब मेहरारुवन के झुण्ड के झुण्ड भोजपुरी सिनेमा देखे सिनेमा हाल के रुख कइलसि. रविकिशन के कहना बा कि भोजपुरी सिनेमा अब आपन मुश्किल दौर पार कर चुकल बा. बड़हन कंपनी सब भोजपुरी फिल्म निर्माण में सामने आइल बाड़ी सँ आ लोग तेजी से भोजपुरी सिनेमा से जुड़ल जात बा.
एह दुनु महारथियन के राय सही बा. लोग भोजपुरी सिनेमा में रुचि लेबे लागल बा, भोजपुरी सिनेमा घाटा के सौदा नइखे रहि गइल. बाकिर भोजपुरी सिनेमा के सफलता के इहे तत्व आजु भोजपुरी सिनेमा के गिरावट के कारण बन गइल बा. जेकरा भोजपुरी भाषा भा संस्कृति के जानकारी तक नइखे उहो भोजपुरी सिनेमा के बहत गंगा में डुबकी लगा के पार उतरल चाहत बा. दुर्भाग्य इहे बा कि भोजपुरी निर्माता आ निर्देशक का लगे भोजपुरी सिनेमा के सही रुप आकार नइखे आ हालीवुड के नकल कर के बने वाली बालीवुड फिल्म के नकल में ऊ तेजी से डूबल जात बा. पता ना भोजपुरी सिनेमा के निर्माता निर्देशक ई कब जनीहें कि नकल देखे खातिर लोग काहे जुटी ? हँ फूहड़ आ शारीरिक संबंध देखावे का भरोसे चव्वनिया छाप दर्शकन के भीड़ जरुर जुटत रही. दुर्भाग्य इहो बा कि आजु का आबादी में वइसनके लोग के बहुतायत बा आ शरीफ संभ्रान्त कहाये वाला लोग भोजपुरी सिनेमा ना त देखे आवेला ना भोजपुरी बोले समुझे में बेहिचक रहेला. भोजपुरी तेजी से घर परिवार का बाहर होत जात बिया आ भोजपुरी के चिन्ता करे वाला लोग के एह पर ध्यान देबे के पड़ी. पइसा कमाये वाला ई ना देखीहें कि ऊ का बेचत बाड़न उनुका त बस पइसा चाही, हम आप रोआत चिचियात रही एहसे उनुका का ?
(स्रोत – शशिकान्त सिंह आ उदय भगत का सौजन्य से मिलल साक्षात्कार का आधार पर)
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