भोजपुरी सिनेमा के मशहूर नृत्य निर्देशक आ फिल्मकार निहाल सिंह पिछला दिने वर्मा फिल्म्स एंटरटेनमेन्ट के बैनर तले बनत फिलिम ‘ई कईसन प्रथा’ ला एगो रोमांटिक युगल गीत के फिल्म सिटी के सुरम्य इलाका में असली बरखा में रिंकू घोष आ विराज भट्ट पर फिलिमवलें. निर्माता दिलीप वर्मा के एह फिलिम ला एह रोमांटिक गीत के प्रयोगवादी गीतकार रुस्तम घायल लिखले आ संगीतकार रहलें एन.के. नंदन. गीत के बोल रहे
‘सुन तोरी बोलिया, लजाले रे कोइलिया
बदरी में डूब मरे चांद,
अगिया लगावेले बाली रे उमरिया
मारऽ जब नैना के बान
ए चिरई तोहरे में बसेला परान।
ए चिरई तोहरे में बसेला परान।’
ढेर दिन बाद कवनो फिलिम का सेट पर लागल कि हमनी का कवो भोजपुरी दृश्य देखत बानी. बुझाता कि ‘बैरी कंगना’ क दौर वापिस ले अइहें निहाल सिंह. लेकिन, निहाल के चेहरा पर उहे मुस्कुराहट, उहे शांति, उहे सरलता. अइसन कि कवनो नया आदमी देखे त निहाले सिंह से पूछ बइठे कि एकर निर्देशक के ह? निहाल सिंह से जब पूछाइल कि एह बीच ऊ कहाँ रहलन त जवाब मिलल कि ढंग क कवनो निर्मते ना मिलत रहुवे. अब कुछउ त हम बनाएब ना. गोपी किशन क शिष्य कुछउ कइसे बना पाइत.
रिंकू-विराज का रोमांस
एह फिलिम के नायिका बाड़ी भोजपुरी सिनेमा के सबले अधिका सकारल अभिनेत्री रिंकू घोष. उनकर किरदार ज़मींदार के बेटी क बा. ओही कन्या का संगे विराज भट्ट आजु बरखा में भीजत धमा चौकड़ी करत बा जेकरा सोझा कबो खड़ा होखे के हिम्मत ना रहे. नजर से नजर मिलावे के हिम्मत ना करे वाला से अपना दिल के हाल बयान करत रहली रिंकू रानी.
रिंकू वइसहूं बढ़िया नाचेली आ निहाल के निर्देशन में ई नाच अउर निखर-निखर गइल रहे. कमल जस चेहरा पर बरखा के बूनी ! अहा! रिंकू पर … जलजला ले आवे का तइयारी में रहल. विराज के मर्दानगीओ भींजल बिलाई जस रिंकू के खुशामद में उछलत रहुवे. ‘‘दुश्मनी’’ के हिट दोस्ती का बाद दुनु जने के ई पहिला मौजूदगी रहल.
निहाल सिंह ‘‘ई कईसन प्रथा’’ फिलिम से ज़रूर जता दिहलन कि बढ़िया फिलिम दौर में खोजाली सँ, बस बनाएवाला चाहीं. आ भरम में मत रहीं, अइसनका फिलिम चलबो खूब करेली सँ. निहाल सिंह सही मायने में भोजपुरी संस्कृति से जुड़ल निर्देशक हउवें. ऊ प्रतिभावान लोग के परखबो कइले बाड़न आ मौको खूब दिहले बाड़न. प्रकाश झा, आ मनोज वाजपेयी के इलाका से आइल रुस्तम घायल जब गीतकार क रूप में भाग्य आजमावे अइलन आ निहाल सिंह के आपन गीत सुनवलन तबहिए निहाल सिंह कहलन कि, तोहरा में कुछ नया बात बा आ घायल के गीत ले के उनुका के स्वस्थो बना दिहलन. रुस्तम के चार गो गीत बा ‘‘ई कईसन प्रथा’’ में. बाकीओ गीत बढ़िया बाड़ी सँ आ ओकनी के आतिश जौनपुरी लिखले बाड़न.
कुल मिला के कहीं त निहाल सिंह भोजपुरी सिनेमा के दामन पर लागल फूहड़ता के दाग धोए में लागल बाड़न आ एह कोशिश के खूबसूरती से कैमरा में उतारत बाड़न अशोक चक्रवर्ती. ई फिलिम पूर्वोत्तर भारत के एगो पुरान प्रथा का खिलाफ अलख जगावत बिया जवन औरतन के अस्मत के तमाशा सार्वजनिक रूप बनावत आइल बा.
(शशिकांत सिंह, रंजन सिन्हा)
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