कहां उड़ि गईल सोन चिरैया

by | Dec 1, 2013 | 0 comments

– जयंती पांडेय

बाबा लस्टमानंद अपना पोती शुभी के सवाल से बड़ा हरान रहेले. अब काल्हुए के बात ह, हठात आ के पूछलसि, “बाबा अपना देश के सोना के चिरई कहां चल गइल?” अब से का कहल जाउ? सवाल कठिन आ उत्तर आउर अझुराह ? कहल जाउ कि उड़ि के परदेश चल गइल त पूछि कि काहे जाये दिहल लोग? ऊ चलि गइल आप सब असहीं देखत रहि गइनी? अब कहीं कि बाबू ई सोना त जमीन से निकलेला आ चिरई त प्रतीक ह त आतना गंभीर बात ऊ चार बरिस के लइकी ना पूछि आ कहीं जवाब ना पा के ओकर ई भरम टूटि जाई कि बाबा सब कुछ जानेले. त तय कइनी कि ई देश के भविष्य देश के वर्तमान से पूछऽता. एकर उत्तर देश के नेता लोग से पूछल जाउ कि आखिर ऊ सोना के चिरई गइल कहां, काहे कि अपना देश के सोना के चिरई कहल जात रहे. नेता लोग से कहल जाउ कि ना मालूम होखे त सी बी आई से जांच करावऽ लोग आ जे ना जवाब मिली त लाचार हो के ई बूढ़ि समईया हमरा के जन आंदोलन शुरू करे के परी काहे कि ई देश के भविष्य के पूछल सवाल ह. सवाल सुनि के भाजपा के नेता झनक उठले आ कहले, बाबा, हमनी का त 50 बरिस से सोना का, लोहा ले नइखीं देखले सँ. आ हो सकेला कि चारा के संगे केहु सोना के घोटाला क देले होखो चाहे केहु बोफोर्स में लुकवा के ले गइल होखो. चाहे हो सकेला असही तस्करी से बाहर निकल गइल होखो.

सवाल पर कम्युनिस्ट नेता लोग खिसिया के एक दम संघर्ष के मूड में आ गइल. कहल कुछ ना ई सब पूंजीवादी पार्टी के संगे मिल के ऊ कुटिल देवी लक्ष्मी सोना के चिरई ले के विदेश में जा के बइठ गइली. अब कांग्रेसी नेता से पूछल गइल त कहले कि ई सब विपक्ष के चुनावी हथकंडा ह. देखऽ कि जब देश आजाद होत रहे तब अंग्रेज लोग कोहिनूर के संगे ऊ चिरैयो के ले के चल गइल. तबसे वार्ता चल रहल बा आ ओकरा के देश में वापस ले आवे के कोशिश चल रहल बा.

उनकरो उत्तर से संतोष ना भइल त एगो बड़हन धर्माचार्य के लगे गइले बाबा लस्टमानंद. ऊ धर्माचार्य सोना के चउकी पर विराजमान रहले. सवाल सुनि के ऊ आंखि मूंदि के कहले, बच्चा चारू ओर लोभ आ स्वार्थ के बोलबाला बा. सोना लोग हजम क ले ले होखी. देखेलऽ ना कि चित्रपट में कइसन कइसन चिरई लउकेली सन. हो सकेला सोन चिरैया ओकनिये लगे होखो.

अब लस्टमानंद रोअस कि हंसस. उनका बुझात ना रहे. घरे जाए पर शुभी फेर पूछी, भाई ई त अब युधिष्ठिर के यक्ष प्रश्न हो गइल.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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(3)


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सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
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