Month: जुलाई 2016

महतारी

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी आजु निकहे बिखियाइल बानी माई बचवन पर नरियात नरियात लयिकवो मुरझा गईलें आँखिन के लोर थम्हात नइखे फेरु अझुराइल नोचब बकोटब खिलखिलात, हंसत, मुस्कियात केतना रंग…

‘भोजपुरी संगम’ के 77वीं ‘बइठकी’

बीतल 10 जुलाई 2016, अतवार का दिने गोरखपुर के भोजपुरी लिखनिहारन के संस्था ‘भोजपुरी संगम’ के 77वीं ‘बइठकी’ संस्था के संस्थापक रहल स्व. सत्तन जी के मकान पर, खरइया पोखरा,…

रमबोला आज जवान भइल

भोजपुरी साहित्य से हमार पहिलका परिचय जवना रचना से भइल तवन रहल हरीन्द्र हिमकर जी के लिखल खण्डकाव्य रमबोला के एगो अंश से. रचना अस नीक लागल कि रटा गइल…

आन्हर कुकुर बतासे भूंके

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी टीभी के परिचरिचा देखs अस लागे, गोंइठा घी सोखे। आन्हर कुकुर बतासे भूंके।। मिलत जुलत सभही गरियावत पगुरी करत सभे भरमावत पुतरी नचावत मुँह बिरावत एहनिन…