– ओ.पी. अमृतांशु
चिरई-चुरंगिया के होई गइलें शोर !
भइल भोर,
हे आदित् देव लागिला गोड़ !
हाथ जोड़ ,
हे आदित् देव लागिला गोड़ !
देर भइल पनिया में
खाड़ बाड़ी जनिया,
थर-थर कांपे अउरी
ठिठुरे बदनिया,
छल-छल छलकेला नेहिया के लोर !
पान-फूल नारियल
हाथवा सजाके,
तिकवेला केहू जोड़ा
कलसूप उठा के,
हियना के दियना बुझाये जनि मोर !
अबेर भइल कहवाँ
कुबेरा भइल आईं,
बरती तिवईया के
अरघ ले ले जाईं,
मनसा के जलसा त मारे हिलकोर !
भइल भोर,
हे आदित् देव लागिला गोड़ !
हाथ जोड़ ,
हे आदित् देव लागिला गोड़ !
बहुत सुन्दर र्णन किए है छठ पूजा का!
छठ-पर्व के बहुत-बहुत शुभकामना
बहुत सुन्दर
ओ.पी. जी मुबारक हो!