नीरज सिंह के दू गो कविता

by | Feb 24, 2023 | 0 comments

– नीरज सिंह

1) माफीनामा

बहुत दिन के बाद अइला प
कतना बुझल बूझल लागत बा
कहिए से बंद
हमार गांव वाला घर !

लागऽता जइसे
कवनो बच्चा होखे
अपना माई से रूसल
भा जइसे माइए होखस
देर से घरे आइल अपना बेटा से
खिसिआइल ।

घर के बाहर के दिवारन प
पसरल लतर बढ़ियाइल बाड़ी स
बेपरमान
अंगना में उगि आइल बाड़ी स
तरह तरह के घास
पौध सूखि गइला के चलते उदास बाटे
तुलसी चौरा
सुखा गइल बा चापाकल
पसरल बा एगो डेरवावन सन्नाटा ।

ओसारा के देवाल पर
धूरि गरदा से धुंधुआइल
बाटे माई के फोटो
पोछला प चमके लागल बा
माई के चेहरा –
‘‘ आइल बाड़ऽ बबुआ !
नीमन बाड़ऽ नू सपरिवार ?
बबुआ कइसन बाड़न स ?
अबहीं पढ़ते बाड़न स कि
नोकरी चाकरी धइलन स कतहीं ?
आ बड़की बुचिया कइसन बिया हो ?
बड़ी मयगर रहे
आवत रहे त हमरा के छोड़ के तहरा लोग संगे
जाए के नाम ना लेत रहे !
ओकर मन लाग जात रहे एहिजा ।
ओसही जइसे हमार मन गड़ा गइल रहे
एह अंगना के माटी में ।

कहाँ गइनी हम तहरा लोग संगे कबहीं कतहूं !
रटते रह गइल लोग सभ भाई
बाकिर हम अपना ससुर के
बनवावल घर छोड़ के कहां जइतीं बचवा !
कइसे जइतीं हो
घर में संझवत के देखाइत बबुआ ? ‘‘

मन में आवऽता
पूछीं कि तहरा चल गइला के बाद
अब के देखावत बाटे संझवत के दिया
ए माई ?
जब ले जियलू
घर अगोरे के चलते
दूर रहलू हमनी से
ना अपने सुख से रहलू
ना हमनिए के अपराधबोध से मुक्त होके रहे देलू
कबहीं!
जइसे अबले करत रहलू क्षमा
तसहीं अब हमेशा
खातिर कर दीहऽ
माफ ए माई
काहे कि
दिया देखावे के नाम प
हम आइल बानी सउँपे घर के चाभी
हमेशा हमेशा खातिर
छोटका चाचा के
माफ करिहऽ ए माई !
माफ करिहऽ !

2) पकवा इनार

पकवा इनार प के खेत
हमरा परिवार के शान रहे ।
बाबा कहत रहन हमरा से
लड़िकाईं में
जानत बाड़ऽ बबुआ
सिपाही के नोकरी से
रिटायर अइनी त
सब जमापूंजी
लगाके किनले रहीं इहे
डेढ़ बिगहवा खेत ।

किनले रहीं इ बरियार नाभ धरती
आ हल्ला भ गइल रहे
चारो ओरिया गांव-जवार में
‘बड़ नू कमाई क के पिनसिन आइल बा
ईश्वरसिंघवा !
बड़का घरायन के लोग
देखते रह गइल आ
लिखवा लेलस पराहुत राय के
डेढ़ बिगहवा पकवा इनार।
एकरे के कहल जाला मरदाही रे भाई ।’

बाबा मुअलन आ
तीसरे साले नू रेहन धरा गइल डेढ़ बिगहवा !
धराइल रहे दिन दिदिया के
बियाह के
आ ओने बलेसर काका
कोड़ मरलन भोरे भोरे दुआर -’
तनिको घबड़इह जन भतीजा !
जइसे हिम्मत करके ठीक कइले बाड़ऽ
राजा घरे बेटी के बियाह
तसहीं करेजा चीर के देखा देबे के बा
बबुआनी
अपना जवार के‘ !

फेर का !
खूब जमके देखावल गइल
बबुआनी आ
अगिला साले चले लगलन स
बलेसर काका के
एक जोड़ा हर
डेढ़ बिगहवा के छाती प ।

तब से बहुत कोशिश कइलन बाबूजी
बकिर काहे के !
डेढ़ बिगहवा जहां रहे, तहें रह गइल ।
सूचनार्थ निवेदन बा
कि बाबूजी अब नइखन एह दुनिया में
हमनी के कुल्ह भाई बड़ले बानी जा
एही दुनिया में
आ साँच कहीं त नाहियो बानी जा ।
भरपूर कोशिश हो रहल बा
लइकन के नीमन पढ़ाई करावे के
नाम प
पकवा इनार प के
डेढ़ बिगहवा से जान छोड़ावे के ।

– वीर कुंवर सिंह नगर, कतिरा, आरा – 802301
(पाती के दिसम्बर 2022 अंक से साभार)

Loading

0 Comments

Submit a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
शेयर ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले जरुरी साधन चार्ट खातिर ट्रेडिंगव्यू
शेयर में डे ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले बढ़िया ब्रोकर आदित्य बिरला मनी
हर शेेयर ट्रेेडर वणिक हैै - WANIK.IN

अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


अँजोरिया के फेसबुक पन्ना

Categories

चुटपुटिहा

सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


अउरी पढ़ीं
Scroll Up