– विजय मिश्र
लइका हनेला जवाब, अब सयान हो गइल
बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल.
पहिला रिस्ता टूटल जाता, नवका रोज धराता
ननिअउरा त याद ना आवे, बढ़ल सढ़ुआ नाता.
माई बाबू काटे, ससुररिया परान हो गइल
बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल.
टूटहा भंगहा गउवाँ घरवा बाबूजी के बाटे
बबुआ जी आवेले त लागेला कुक्कुर काटे.
सहरे मेहरी के नांवे मकान हो गइल
बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल.
मउका पा के लागल दुसमन सटि सटि के बतियावे
मिलल सुतार त जइसन तइसन उलिटा पाठ पढ़ावे.
रहे बिगरे के त उलिटा धियान हो गइल
बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल.
कान भराए लागल, उनुका मन में पाप समाइल
जिनगी भर के कइल धइलका छन में कहाँ बिलाइल.
कुछऊ सिखलवला पर लागे अपमान हो गइल
बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल.
जबले बा लरिका कुँवार तबे ले आपन बूझीं
ओकरा के पाले-पोसे में दुख संग हरदम जूझीं.
पढ़ल-लिखल बेटा देखते अनजान हो गइल
बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल.
पूर्व प्रधानाध्यापक,
रामझलक चौबे पूर्व मा॰ विद्यालय, टण्डवा, बलिया.
निवास –
ग्राम – सुहवल, कुसौरा, बलिया
मोबाइल – 8004453264
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