वइसे त गोस्वामी तुलसीदास लिख गइल बानी कि समरथ के नहीं दोष गुसाईं बाकिर जमाना बदलल त कहाउतो बदलबे करी आ अब के कहाउत ई बा कि बरियार चोर सेन्हे पर बिरहा गावेला. ओकरा निकहा से मालूम बा कि ओकरा के दोषी बतावे के बेंवत केहू में नइखे. तबहियो ओकरा अतने से सन्तोष नइखे. ऊ अब सभका के चुनौती देला कि देखऽ ल चोरी करे जा रहल बानी रोक सकऽ त रोक ल.
एगो जमाना उहो रहुवे जब देश दुनिया के हालचाल जाने ला आकाशवाणी छोड़ दोसर कवनो साधन ना रहुवे. आ सरकारो निश्चिन्त रहत रहुवे कि ऊ जवन चाही, जतना चाही ओतने लोग का मालूम होखी आ ओतने बतावल जाई. फेर जमाना आइल दूरदर्शन के. तब लोग बाग खबर देखले भर से सन्तोष ना करे आ ओकरा के अपना आँखि देखलो चाहत रहुवे. ओही जमाना में देश में हिन्दुत्व के जड़ जमावे के मौका मिलल. दुरदर्शन पर रामायण का आइल लोग खुद भगवान राम के देखे समुझे के मौका पा गइल. अतवार का दिने होत फजीरे लोग स्नान ध्यान, नाश्ता क के टीवी का सोझा बइठ जात रहुवे. तब जोकरा लगे टीवी रहे ओकर भाव देखल बनत रहुवे. उहो अपना टीवी के एह तरहा लगावत रहुवे कि कोठरी का भीतर बइठल लोग का साथही ओसारा दालान में भरलो लोग रामकथा के दर्शन करि सको.
ओकरा बाद शुरु भइल निजी चैनलन के कारोबार. टीवी के बेंवत जाने पहिचाने वाला पत्रकार ओह चैनलन पर एंकरिंग के कमान थाम लिहलें आ देखते देखत ओह लोग का लगे करोड़ों के संपति खड़ा हो गइल. ऊ लोग सरकार में केकरा के मंत्री बनावल जाव, केकरा के कवन विभाग दीहल जाव, इहो सब तय करे लागल. सरकार ओह लोग का सहारे आ चेनल सरकार का सहारे देश के जनता के बहलावे-फुसलावे में माहिर बने लागल आ घोटालन के बाढ़ आ गइल.
कहले जाला कि कवनो बाति के अति खराब होला. ना अति बरखा, ना अति धूप. ना अति बोलता, ना अति चुप. मीडिया के दादागिरी देखत ओकरा से शिकायत राखे वाला लोग आपन अलग माध्यम खोजे लागल आ सोशल मीडिया के जनम हो गइल. सही मामिला में ई आजादी हो गइल. हर आदमी अब अखबार हो गइल. सही-झूठ, गप-महागप सबकुछ देखते देखत वायरल होखे लागल. पेंडुलम अब दोसरा तरफ चलि गइल आ मेनस्ट्रीम मीडिया के जमाना ऊ ना रहि गइल जवन कबो रहत रहुवे. अब ओह लोग के एजेन्डा, ओह लोग के झूठ तुरते पकड़ाए लागल. देखते देखत पत्रकार से प्रेश्या बने-कहाए में समय ना लागल.
कवनो लोकतंत्र के चार गो खंभा होला. नीमन लोकतंत्र में एह चारो खंभा का बीच एगो सहज संबंध रहेला आ एक दोसरा के ताकत दिहला का साथही साथ ओकरा के काबुओ में राखे के व्यवस्था रहेला. बाकिर जब कवनो एगो खंभा अपने के सर्वे सर्वा समुझे लागे त देर सबेर ओह खंभा में दरार आइल जय होला.
अपनो देश के लोकतंत्र के एगो खंभा बेकाबू हो चलल बा. ऊ अपना के स्वंयभू मान लिहले बा आ दोसरा खंभन के ओकरा पर से नियन्त्रण हट गइल बा. देर सबेर एहू खंभा मे दरार आइल तब बा. जनता के मूड बने लागल बा महामहिमो लोग पर अंकुशा लगावे के.
इन्तजार कइल जाव.
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