गोरखपुर के भोजपुरी संगम के 171 वीं बइठकी कृष्णानगर कालोनी स्थित सुधा संस्मृति संस्थान में आयोजित भइल. बइठकी के अध्यक्षता करत प्रो.विमलेश मिश्र के कहना रहल कि “कविता में तुकबंदी कइला से अधिका जरुरी होला लक्षणा अउर विम्ब पर धेयान दीहल.महज तुकबंदिए से कविता ना रचा जाव. कविता के भाव जबरिया उजागर ना हो के सहज होखे के चाहीं.” विमलेश जी के मानीं त साहित्य सत्ता के विरोधे में होखे के चाहीं, समर्थन में ना.
बइठकी के पहिलका दौर में रामसुधार सिंह ‘सैंथवार’ के कवितन के समीक्षा करत विमलेश जी कहनी कि सैंथवार की कविता में यथार्थ के प्रस्तुति सराहे जोग बा बाकिर उनुकर कला पक्ष कमज़ोर रहला का चलते ओहमें जान नइखे. सत्यशील राम त्रिपाठी के कहना रहल कि सैंथवार अपना भोजपुरी गीतन का जरिए पूर्वांचल की समस्यन, कुरीतियन, पुरान स्मृतियन, किसान उत्थान, ममता के मर्म आ समय के सचाई के मजगर तरीका से परोसले बाड़न. सुधीर श्रीवास्तव नीरज कहलन कि सैंथवार की रचनन में गाँव के स्वर्णिम अतीत बसल बा जवन उनुके व्यक्तित्वो में झलकेला.
हमेशा का तरह बइठकी के दुसरका दौर कविगोष्ठी के रहल जवना में कविगण एह तपत गरमी में माहौल के शीतलता दीहलन.
कमलेश मिश्रा –
का बतलाईं आपन हाल?
घर में बा ना रोटी- दाल
कुमार शैल ‘सत्यार्थी’ –
हमहूंँ ना रह्बें गरीब ए गोरी! हमहूंँ अमीर होइ जाइब
हरदम खरीदब ना तोहँके टिकुलिया, कब्बो त झुमका गढ़ाइब.
कुमार अभिनीत –
मन में मचल घमासान, लोकतंत्र कइसे बचाईं?
जन में बसल बेईमान, लोकतंत्र कइसे बचाईं?
प्रेमनाथ मिश्र –
बिन बदरा भइल अकास, नहर बेपानी हो गइल
ऐ बिधना! खेती कइला में परसानी हो गइल
ओम प्रकाश पाण्डेय ‘आचार्य’ –
प्यार, दुलार, सनेह, दया, ममता, बट बिरिछ कहावेलीं माई
खेलावे, खियावे, हँसावे, रोआवे, सुफल जिनगी के बनावेलीं माई
नर्वदेश्वर सिंह –
गूँजति बा सहनाई हो रामा, राम रउरी नगरी
हरसित लोग-लुगाई हो रामा, राम रउरी नगरी
चन्देश्वर ‘परवाना’ –
मन के मारि मने में सहि के जी लेवे दऽ
आपन दुख अपनन से कहि के जी लेवे दऽ
बइठकी में एकरा अॢलावे राम समुझ ‘साँवरा’, सुधीर श्रीवास्तव ‘नीरज’, चन्द्रगुप्त वर्मा ‘अकिंचन’, नन्द कुमार त्रिपाठी, निर्मल गुप्त ‘निर्मल’ आ अरविन्द ‘अकेला’ आपन आपन रचना सुनवलें.
बइठकी में डा. श्याम बिहारी मिश्र, डा. ब्रजेन्द्र नारायण, सृजन गोरखपुरी, डा. मनोज कुमार मिश्र, सुनील मणि त्रिपाठी वगैरह अनेके खास लोग उपस्थित रहे.
संचालन चन्देश्वर ‘परवाना’, मेजबानी रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी अउर आभार ज्ञापन इं.प्रवीण कुमार सिंह कइलें.
(भोजपुरी संगम के प्रसार प्रमुख सृजन गोरखपुरी के भेजल रपट का आधार पर)
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