रविशंकर जी, याद बा नू ऊ बतिया जवन पिछला साल कहले रहीं ?
भोजपुरी के मान्यता के राह देखत एगो अउर बरीस बीत गइल बाकिर कतहूं कवनो संकेत नइखे लउकत. साफ लउकत बा कि सरकार एहसे उदासीन बिया. बाकिर उमीद के दीया अबहीं…
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भोजपुरी के मान्यता के राह देखत एगो अउर बरीस बीत गइल बाकिर कतहूं कवनो संकेत नइखे लउकत. साफ लउकत बा कि सरकार एहसे उदासीन बिया. बाकिर उमीद के दीया अबहीं…
– डा॰ अशोक द्विवेदी स्नान-पूजा का बाद जब कुन्ती अनमनाइल मन से कुछ सोचत रहली बेटा भीम का सँगे बाहर एगो फेंड़ का नीचे हँसी-ठहाका में रहलन स. हिडिमा के…
हमार देशवासी, 66वां गणतंत्र दिवस के पहिले के साँझ हम रउरा सभे के एह दिन के बधाई देत बानी, खास क के हमनी के सेना, अर्धसेना, अउर भितरी सुरक्षा में…
– देवेन्द्र कुमार गुलजारी लाल जी आपन संघतिया मनमौजी के संगे साप्ताहिक बाजार मंगला हाट में हफ्ता भर के जरूरी सामान के खरीदारी करे खातिर गइल रहलें. दूनो संघतिया बाजार…
– केशव मोहन पाण्डेय जइसे दूध-दही ढोवे सबके सेहत के चिंता करे वाला गाँव के ग्वालिन हऽ गौरैया एक-एक फूल के चिन्हें वाला मालिन हऽ। अँचरा के खोंइछा ह विदाई…
– जयंती पांडेय बाबा लस्टमानंद अक्सर अपना मेहरारू के केहु से परिचय करइहें त कहिहें कि ई हमार पत्नी हईं. रामचेला एकदिन पूछ बइठले – हो बाबा! तू , भउजी…
स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो के लिखल किताब ‘दि रेड साड़ी’ के पिछला सरकार का जमाना में कांग्रस भारत में प्रकाशित ना होखे दिहलसि. सोनिया गाँधी के जीवन के कहानी के…
– डा॰ अशोक द्विवेदी एगो विशाल बटवृक्ष का नीचे पत्थर शिला खण्ड का टुकड़न से सजाइ के एगो चबूतरा बनावल रहे. वृक्ष का एकोर ओइसने पत्थर के चापट टुकड़न के…
– डा॰ अशोक द्विवेदी सोझा बन के कुछुए भीतर एगो बड़का झँगाठ फेंड़ का ऊपर से दू गो आँख ओनिये टकटकी बन्हले भीम आ उनका पलिवार का एक-एक हरकत के…
दिल्ली सरकार के मैथिली.भोजपुरी अकादमी 11 जनवरी का दिने दिल्ली के मंडी हाउस का फिक्की सभागार में गणतंत्र दिवस कवि सम्मेलन आयोजित कइलस जवना में दिल्ली आ बाहरो से आइल…
– जयंती पांडेय सीताराम बनिया मुंहअन्हारे बाबा लस्टमानंद के दुअरा आ पहुंचले. बाबा ओह समय बैलन के सानी-पानी करे के तइयारी में रहले. हाथ में छईंटी रहे. सीताराम बनिया के…