– आदित्य कुमार अंशुल
दगाबाज भाई के
मेहरी हरजाई के
भरोसा ना होला.
भाँट के बात के
घोड़ा के लात के
भरोसा ना होला.
झट मिलल सौगात के
देर से आइल बारात के
भरोसा ना होला.
पुअरा के आँच के
तेज बांचल पाठ के
भरोसा ना होला.
पइसा मांगस भरमाई के
बतियावे झूठियाई के
भरोसा ना होला.
फाटल दूध के
पान के थूक के
भरोसा ना होला.
टिपटिपाईल बदरी के
सड़ गइल रसरी के
भरोसा ना होला.
देर से आइल हीत के
मतलबी मीत के
भरोसा ना होला.
अधकचरा ज्ञान के
फिसलल जुबान के
भरोसा ना होला.
(हेलो भोजपुरी के दिसम्बर 2013 अंक से साभार)
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