वेल बिगन इज हाफ डन (बतकुच्चन 159)

by | Jun 26, 2014 | 0 comments

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वेल बिगन इज हाफ डन.
अंगरेजी के एह कहाउते जइसन भोजपुरी के कहाउत ह साधे समहुत सधे पुनाहुत. मतलब कि अगर कवनो काम के समहुत, शुरुआत, बढ़िया हो गइल त मान लीं कि ओकर पुर्णाहुति, पुनाहुतो, बढ़िए रही. बाकिर मन साधे आ सधे में अझुरा के रहि गइल. साध मनोकामना के कहल जाला. साध के पूरा करे के कोशिश के साधना आ साधना करे के साधल कहल जाला. साधना में इस्तेमाल होखे वाला विचार भा सामान के साधन कहल जाला. निशाना साधल में मन का साथे साथ आँख कान सब कुछ एकवटल रहेला. एको अपना जगहा से हिलल त निशाना ना लागी आ मन के साध मने में रहि जाई. साधल के मकसद सध जाव, पूरा हो जाव त ओकरा के सधल कहल जाला. सधल के एगो मतलब खतम होखलो होला. खाना सध गइल माने कि जतना बनल भा परोसल रहुवे सगरी खतम हो गइल. निशाना सध जाव त निशाना साधला के मकसद पूरा हो जाले, खतम हो जाले. बाकिर कई बेर होला कि साध पुरावे खातिर सरंजाम सध जाला बाकिर साध ना सधे, जइसे कि गुड्डी उड़ावत में लटाई के डोरा सध जाव आ गुड्डी ओह उँचाई ले ना चहुँप पावे जहाँ के चहुँपावे के साध रहुवे. इनार से पानी निकाले के साध पूरा करे मेंं बाल्टी से बान्हल रसरी सध जाव आ पानी ना भेंटाव.

अब देखीं ना, बात करत में सरंजाम कह गइनी आ सोचनी ना कि सरंजाम के सही इस्तेमाल कइनी कि ना. इहो कि सरंजाम होला का? शहर के जिनिगी जियत आदमी गाँव जवार से अइसन कटल कि फेर जुट ना पावल. गाँवो सब शहर बने का देखा देखी में ना शहर बन पावल ना गाँवे रहि गइल. सब कुछ हेन बेना हो गइल आ भेटाइल कुछ ना.

सरंजाम शब्द के इस्तेमाल कवनो काम करे खातिर जुटावल सामान उपकरण वगैरह खातिर होखे लागल बा बाकिर सरंजाम लकड़ी के ओह पाटी के कहल जात रहुवे जवन इनार पर राखल जात रहुवे आ जवना का सहारे पानी खींचात रहुवे. अब ना त ढेंकुल रहली स ना रहट. ना कुंड़ा बाचल ना मोट. गाय बैल दुआरी के शोभो करे खातिर ना रहि गइले सँ. ट्रैक्टर से बढ़त कंबाइन ले आ गइल खेती. धान गेंहू त बाच जाता बाकिर ना त पुअरा बाँचत बा ना भूसा. गाय बैल ला सानी पानी जुटावे के काम मुश्किल हो गइल. रहट पता ना अब के कवगो नवही देखले होखीहे.

खैर, सरंजाम के चरचा ढेर दूर ले बहका ले गइल. से लवटत बानी फेरू साध प. साधे से जुड़ल एगो कहाउत ह कि एके साधे सब सधे सब साधे सब जाय. अगर आदमी एक बेर में एके काम साधे का फेर में रहो त गँवे गँवे सगरी काम सध जाई बाकिर अगर सगरी काम एके संगे करे निकल पड़े त कवनो काम पूरा ना हो पाई आ सगरी काम बिगड़ जाई. हो सकेला कि रउरा सोचत होखीं कि आजु कवना बात प एह साध के चरचा निकलले बानी त बतावत चलत बानी कि देश के सरकार बदलल बिया. नया सरकार पुरनका बिगड़ल भा बाकी काम पूरा करे निकलल बिया. समहुत त बढ़िया लागल बा पुनाहुत देखे के बा कि कइसन रहत बा. उमेद कइल जाव कि हड़बड़ी में गड़बड़ी के शिकार मत हो जाव सरकार. बढ़िया साधक उहे होला जे साधना में साधनो के धेयान राखो. सही साधना खातिर सही साधनो होखे के चाहीं.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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