– ओमप्रकाश अमृतांशु
हिन्दी के पुरनिया साहित्यकार आ आलोचक डॉ॰ नामवर सिंह के ८९ वां जनमदिन बहुते खुशी का साथे पिछला ३॰ जुलाई के हिन्दी भवन, नई दिल्ली में मनावल गइल. एह कार्यक्रम में देश भर से आइल कवि लोग कविता पाठ कइल आ नामवर सिंह के लमहर जिनिगी ला शुभकामना कइल.
कविता पाठ में डॉ॰ नामवर सिंह का साथे भोजपुरी कवि आ गजलकार मनोज भावुक, अशोक वर्मा, डॉ॰ पुष्पा सिंह विसेन, नरेश नाज, डॉ0 मधुप सिंह, सुरेश यादव आ अउरूओ कवि लोग मंच के शोभा बढ़ावल.
साहित्यकार लोगन के सम्मान में नामवर सिंह कहलें कि, आज हमार दिल भरल आ दिमाग खाली बा. का ई नीमन नइखे कि आज हम सभे के सुनीं आ अपने चुप रहीं. आज के दिन हमरा लगे जुबान नइखे, खाली कान बा.
वरिष्ठ कवि नरेश कुमार नाज हिन्दी भाषा के महता पे कविता पढ़लन. कवियित्री पुष्पा सिंह ‘विसेन’ नामवर सिंह के व्यक्तित्व आ कृतित्व पे प्रकाश डलली. युवा कवि मनोज भावुक नामवर सिंह के विराट व्यक्तित्व के आपन हिन्दी-भोजपुरी कविता में समेटत कहलन कि ‘झुकी नही है रीढ़ की हड्डी, गरूवर जस कि तस है. भाषा, बोली, वाणी लहजा, तेवर जस के तस हैं….’ आउरी ‘ जुग-जुग जीहीं जीअनपुर के लाल, रउरा से चमके हिन्दी के भाल, अबहीं नवासी के युवा रउरा बानी , करीं सफर साथे अउरी सौ साल…..’
कवि सुनील हापुड़िया अपना हास्य व्यंग्य आ अशोक मधुप अपना गजल से कार्यक्रम के सुहाना क दिहलन. देश के अलग-अलग क्षेत्र से आइल कवि लोगन में पूनम भाटिया, आभा सेतू (काठमांडू, नेपाल), कामदेव शर्मा, रामश्याम हसीन, राजेश तंवर, देवनगर, प्रियंका राय, डॉ॰ अरविन्द त्यागी, एम पी अग्रवाल, इब्राहिम अल्वी, निवेदिता मिश्रा झा, डॉ॰ भुवनेश सिंघल, चन्द्रकांता सिवल, डॉ॰ बब्ली वशिष्ठ, डॉ॰ चंद्रमणि ब्रह्मादत्त, संजय कश्यप, भावना कश्यप, आशीष श्रीवास्तव आ संजय कुमार आपन- आपन रचना सुनवले.
जय हो! जय हो!