भोजपुरी अबहीं संविधान के अठवीं अनुसूची में शामिल होखे खातिर संघर्ष करत बिया. जबकि भारत के साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य निर्माता का रूप में भिखारी ठाकुर आ धरीछन मिश्र का बाद अब भोजपुरी के नामी गिरामी कवि मोती बीए पर एगो किताब प्रकाशित कइलसि ह. इहे ना बलुक पछिला बरिसन में अकादमी पुरस्कार (एक लाख) का साथे ‘भाषा सम्मान’ भोजपुरी कवियन के दे के साहित्य अकादमी भोजपुरी के गौरव बढ़ा दिहले बिया.
स्व॰ मोती बीए के व्यक्तित्व आ सगरी साहित्यिक अवदान के लेके लिखल डा॰ अशोक द्विवेदी के आलोचनात्मक किताब ‘मोती बी.ए.’ भोजपुरी प्रेमियन के जरूर पढ़े के चाहीं.
जाने जोग इहो बा कि बलिया जनपद के चर्चित साहित्यकार आ जानल मानल कवि, कथाकार डा॰ अशोक द्विवेदी पछिला पैंतीस बरीसन से ‘भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका पाती’ के जरिए भोजपुरी भाषा आ साहित्य के स्तरीयता आ स्वीकार्यता खातिर लगातार संघर्ष करत आइल बानी.
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