पत्रकारिता आ भाषा के चुनौती पर परिचर्चा

by | Dec 15, 2014 | 0 comments

dr-rishi-chaube
पिछला दिने कोलकाता के प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग का ओर से ‘पत्रकारिता आ भाषा के चुनौती’ पर परिचर्चा के आयोजन विश्वविद्यालय के आचार्य जगदीश चंद्र बोस सेमिनार हॉल में कइल गइल. एह परिचर्चा में विद्वान पत्रकारिता के इतिहास से लेके ओकरा मौजूदा स्वरूप पर गंभीर चरचा कइलन आ जिज्ञासु छात्रा-छात्रन के शंकन के समाधानो कइले.

बांग्ला के वरिष्ठ पत्रकार अशोक सेनगुप्त देश के पत्रकारिता के इतिहास में पश्चिम बंगाल के योगदान के खास तौर पर चरचा करत कहलन कि बंगाल देश के अनेके भाषा के पत्रकारिता के जनक रहल बा. कहलन कि पूरा देश में कोलकाते अइसन शहर बा जहाँ कवनो अखबार (इंडियन मिरर) का नाम पर सड़क के नाम (इंडियन मिरर स्ट्रीट) रखाइल बा.

लेखक आ पत्रकार डॉ. अभिज्ञात अंग्रेजी आ हिन्दी पत्रकारिता के तउलत कहलन कि हिन्दी पत्रकारिता अपना कईएक कमियन का बावजूद अंगरेजी पत्रकारिता से बेसी जनहितैषी आ जनता से जुड़ल बा. कहलन कि आजादी से पहिले साहित्याकारे पत्रकार रहत रहले आ तब पत्रकारिता मिशन होखल करे. अब पत्रकारिता के फलक बड़हन हो गइल बा आ खाली साहित्य जाने भर से पत्रकारिता के काम ना चल पाई.

हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तनुजा मजुमदार अपना अध्यक्षीय वक्तव्य में कहली कि समाचार पत्रन के पाठक बढ़त बाड़े त ऊनुका अपना भाषाई सरोकारो के धेयान में राखे पड़ी. ककहली कि बदलत दौर में भाषा के प्रति समाचार पत्रन के प्रतिबद्धता नइखे लउकत.

भारतीय विद्या भवन स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के प्रिंसिपल समीर गोस्वामी के कहना रहल कि टीवी चैनलन का सोझा समाचार दिहला का साथही ओकरा के रोचको बनवले राखे के चुनौती होले. अखबारन में छपे से पहिले खबर टीवी पर आ चुकल होले बाकिर समाचारन के विश्लेषण अखबार के प्रासंगिक बनवले रखले बा.

कार्यक्रम के संचालन प्रोफेसर डॉ. ऋषि भूषण चौबे कइलन आ धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर डॉ. अनिंद्य गांगुली. वक्ता विद्वानन के परिचय पत्रकारिता पर शोध करत जयप्रकाश मिश्र कइलन.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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