– डॉ. गोरख मस्ताना
भोजपुरी भासा ला बा, अरपित उमिरिया
पुरबिया हई……..
हम हई भोजपुरिया, पुरुबिया हई
हमरी अंगनवा में गंगा जी के धार बा
आरी आरी दुनु ओरिया तीरथ हजार बा
कासी विश्वनाथ देवघर पुण्य धाम बा
सुबह बनारस के, अवध के साम बा
कने कने माटी हवे, देवल दुअरिया, पुरबिया हई
हम हई ……………………….
भोजपुरी मटिया में भइले बाबा तुलसी
रचले रामायण के अमरित बानी
प्रेमचंद, परसाद, कविवर नेपाली
लिखले ए मटिया के पावन कहानी
कविता कहानी हमीं सबद अछरिया, पुरबिया हई
हम हई ……………………….
चमक दमक देश राज राजधानी के
खून भा पसेना देई हमहीं संवारी ले
हमरे से जितेला जे, राजपाट भोगेला
देखीं दुरभाग हम उन्हीं से हरी लें
हमरे से दम्केला दिल्ली के अटरिया, पुरबिया हई
हम हई ……………………….
हमहीं मरद ए पानी के कहाई लें
देशवा के मान, प्राण देई के बचाई लें
मरी जाई भले पीठ कबो न देखाई हम
बांह काटी गंगाजी के हमहीं चढ़ाई लें
बाबु कुवंर सिंह के हामी तरुवारिया, पुरबिया हई
हम हई ……………………….
(साभार : जिनगी पहाड़ हो गइल, (डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना के गीत संकलन) प्रकाशक : इन्द्रप्रस्थ भोजपुरी परिषद, दिल्ली.)
BAHUT ACHCHA LEKH BAATE.