खोंच के दोहा

by | Jan 19, 2011 | 0 comments

– मिर्जा खोंच

आपन बड़ाई हर घरी, हरदम बड़का बोल
तब जाके ए दुनिया में लागी तोहर मोल.

रातो दिन पढ़ते रहल, बाकिर भइल ना पास
भइल पैरवी तब जाके, जागल ओकर भाग.

लुट के इहवाँ छुट बा, लूट सके त लूट
तब जाके भगवन के, मार तनी सैलूट.

खोंच मियां ऊ मर गइल, मांगे जे सरमाय
ओकर जीवन सफल भइल, जे मांग मांग के खाय.

माई के पहिले सास के, रोजे करीं सलाम
उनका बेटी के चलते भइनी हम त गुलाम.

भाई के धन मार, जे केहू भी खाई
खोंच मियां के दावा बा, सीधे सरग उ जाई.


(मिर्जा खोंच साहेब भोजपुरी हास्य व्यंग के कवि हउए)

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(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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