लखनऊ के नौंवा राष्ट्रीय पुस्तक मेला में भोजपुरी के साप्ताहिक पत्रिका “भोजपुरिया अमन” के विमोचन करत आकाशवाणी के पूर्व निर्देशक आ मशहूर साहित्यकार मदन मोहन मनुज सिन्हा कहले कि लोक साहित्य वाली भाषा सभन के धीरे धीरे भुलावल जात बा. भोजपुरी साहित्य हिन्दी के मर्यादा के पूरा संरक्षण देले आ भोजपुरी के अपनावल हिन्दी के बढ़ावा दिहल बा. कहलन कि आजु जब भोजपुरी के प्रकाशन शुरू आ बन्द होखल जात बाड़ी सँ अइसना में साप्ताहिक पत्रिका के प्रकाशन भोजपुरी समाज खातिर आइना देखावल बा.
मनुज सिन्हा बतवले कि साल सतासी अठासी का आसपास यूपी में भोजपुरी अकादमी के माँग ले के तब के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से एगो प्रतिनिधि मण्डल भेंट कइले रहल. एह समूह में राम विलास तिवारी, डा॰ राजेश्वरी, शांडिल्य वगैरह लोग शामिल रहे. ऊ पत्रक आजु ले सरकार का लगे लटकल बा. सरकार के चाहीं कि उत्तर प्रदेश में भोजपुरी अकादमी के स्थापना जल्दी से कर देव.
भोजपुरिया अमन पत्रिका के संपादक डा॰ जनार्दन सिंह अपना संबोधन में कहले कि समय के माँग बा कि प्रदेश में भोजपुरी अकादमी के स्थापना होखे, देश में एगो भोजपुरी राज्य बनावल जाव, आ संविधान का आठवीं सूची में भोजपुरी के शामिल कइल जाव. अपना साप्ताहिक पत्रिका भोजपुरिया अमन से जुड़े के गोहार लगावत डा॰ सिंह कहलन कि दुख के बाति बा कि लखनऊ पुस्तक मेला में एकहू बुक स्टाल अइसन नइखे जहवाँ भोजपुरी, ब्रजभाषा, बुन्देली भा अवधी के किताब मिलो.
मनसा पब्लिकेशन के संस्थापक डा॰ मनसा पाण्डेय कहलन कि भोजपुरी साहित्य केहू के पहिचान के मोहताज नइखे. देश आ विदेशो में भोजपुरी चैनल महुआ आ भोजपुरी सिनेमा के माँग बढ़ल बा आ भोजपुरी के प्रचार प्रसार हो रहल बा. पाण्डेजी कहलन कि जनार्दन सिंह एगो स्वच्छ साहित्यिक समाचार पत्रिका के शुरुआत करके नीमन काम कइले बाड़न आ भोजपुरिया लोगन के एह प्रयास के समर्थन देबे आगे आवे के चाहीं.
विमोचन समारोह में डा॰ योगेश प्रवीण, रामायण यादव, डा॰आशा श्रीवास्तव, नीलम सिहं, राम प्रताप यादव, अशोक कुमरा चतुर्वेदी, अमन प्रताप सिंह, पीयूष पाण्डे समेत ढेरे साहित्यकार, पत्रकार आ गणमान्य लोग शामिल भइल.
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