सौभाग्यवती भवऽ
इंदिरा राय अम्मा के सहेलियन के एकाध सिसकी, बहरि बाँस के टिकठी बनावे के ठक-ठक आवाज आ बीच-बीच में ठेठ पूरबी अन्दाज में कुसुमी के “अरे मोर भउजी” के स्वर…
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इंदिरा राय अम्मा के सहेलियन के एकाध सिसकी, बहरि बाँस के टिकठी बनावे के ठक-ठक आवाज आ बीच-बीच में ठेठ पूरबी अन्दाज में कुसुमी के “अरे मोर भउजी” के स्वर…
रचना त्रिपाठी अपना भतीजी वृंदा के शादी में सितली फुआ अपना गवना के पैंतीस-चालीस बरीस बाद पहिला बेर नइहर आवत रही. एह बीचे ऊ बहू-बेटी, नाती-नतकुर वाली हो गइल रहुवी.…
विष्णुदेव तिवारी फूआ, माने गिरिजा फूआ-पुरुषोत्तम के बाबूजी के छोटकी बहिन- बाति ए तरी पागेली जे शब्द केनियो ले भरके ना पावसु लोग। अनचक्के में केहू के खींचि ले जइहें…
अशोक द्विवेदी चितकबरा पहाड़ का अरियाँ अरियाँ जवन ऊँच-खाल डहरि ओने गइल रहे, ओकरा दूनो ओर छोट-बड़ गई किसिम के बनइला फेंड़ रहलन स. कुछ हरियर पतई से झपसल आ…
प्रकाश उदय एगो कवना दो देश में, एगो राजा रहन. रजवा के सात गो रानी रही. सातो रनियन से एकए गो लइका रहे. जवना रानी से पुछाय तवन बतावे कि…
(स्व0) शिव प्रसाद सिंह चइत क रात गाँवे में जब उतरेले एगो नसा जइसन पसर जाला सगरी ओर। सुबह होखे के घंटा भर पहिले हवा में गुलाबी सर्दी होला आ…
रामेश्वर सिंह काश्यप ताल के पानी में गोड़ लटका के कुंती ढेर देर से बइठल रहे। गोड़ के अंगुरिन में पानी के लहर रेसम के डोरा लेखा अझुरा जात रहे…
आशारानी लाल अबहिंए सोझा एतना न परछाई रेंगत रहीसन कि ना बुझाय कि कवना के ढेर निहारीं आ कवना के कम। मन अउँजिया गइल रहे। देखलीं कि कुल परछाइँयन बिचे…
रामनरेश शर्मा ‘शिक्षक’ बेटी लक्ष्मी के शादी खातिर रमई छानि दिहले. कहीं वर-घर ना मिलल, कहीं वर मिले त घर ना रहे, त कहीं घर मिले त लक्ष्मी योग वर…
कृष्णानन्द कृष्ण रिटायर्ड़ भइला का बादो दीनदयाल जी के दिनचर्या में कवनो बदलाव ना आइल रहे. उहे पूजा-पाठ, सध्या-वन्दन आ खाली समय में कवनो ना कवनो विद्यार्शी के विद्यादान. उनकर…
दिनेश पाण्डेय उहाँ का सँगहीं रहनीं। बइठार रहे त चलीं सउदा-सुलुफ का सँगे कुछ मटरगस्तियो हो जाई, एक पंथ दुइ काज। तय भइल जे किराना बाजार मुँहें चलल जाई, फेरू…