एके सहारा
- डॉ० उमेशजी ओझा मिठू आपन हाथ पीछे कइले हाथ में देवी माई के पूजा कइल परसादी लिहले जइसही अपना घर का डेवढ़ी प खाड़ भइले, ओसहि ऊ अपना सुनयना…
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- पप्पू मिश्र 'पुष्प' पेट के पपीहरा के पियास बुझावे खातिर उ खुशी-खुशी ओ लो के सेवा-तबदारी में लाग गइल। सेवा-तबदारी से जवन कुछ मिले ओ से ओकर आ ओकरा…
इंदिरा राय अम्मा के सहेलियन के एकाध सिसकी, बहरि बाँस के टिकठी बनावे के ठक-ठक आवाज आ बीच-बीच में ठेठ पूरबी अन्दाज में कुसुमी के “अरे मोर भउजी” के स्वर…
रचना त्रिपाठी रचना त्रिपाठी अपना भतीजी वृंदा के शादी में सितली फुआ अपना गवना के पैंतीस-चालीस बरीस बाद पहिला बेर नइहर आवत रही. एह बीचे ऊ बहू-बेटी, नाती-नतकुर वाली हो…
विष्णुदेव तिवारी फूआ, माने गिरिजा फूआ-पुरुषोत्तम के बाबूजी के छोटकी बहिन- बाति ए तरी पागेली जे शब्द केनियो ले भरके ना पावसु लोग। अनचक्के में केहू के खींचि ले जइहें…
अशोक द्विवेदी चितकबरा पहाड़ का अरियाँ अरियाँ जवन ऊँच-खाल डहरि ओने गइल रहे, ओकरा दूनो ओर छोट-बड़ गई किसिम के बनइला फेंड़ रहलन स. कुछ हरियर पतई से झपसल आ…
प्रकाश उदय एगो कवना दो देश में, एगो राजा रहन. रजवा के सात गो रानी रही. सातो रनियन से एकए गो लइका रहे. जवना रानी से पुछाय तवन बतावे कि…
(स्व0) शिव प्रसाद सिंह चइत क रात गाँवे में जब उतरेले एगो नसा जइसन पसर जाला सगरी ओर। सुबह होखे के घंटा भर पहिले हवा में गुलाबी सर्दी होला आ…
आशारानी लाल अबहिंए सोझा एतना न परछाई रेंगत रहीसन कि ना बुझाय कि कवना के ढेर निहारीं आ कवना के कम। मन अउँजिया गइल रहे। देखलीं कि कुल परछाइँयन बिचे…