पप्पू मिश्र ‘पुष्प’ के ठहाका

- पप्पू मिश्र 'पुष्प' पेट के पपीहरा के पियास बुझावे खातिर उ खुशी-खुशी ओ लो के सेवा-तबदारी में लाग गइल। सेवा-तबदारी से जवन कुछ मिले ओ से ओकर आ ओकरा…

नइहर के नेवता

रचना त्रिपाठी रचना त्रिपाठी अपना भतीजी वृंदा के शादी में सितली फुआ अपना गवना के पैंतीस-चालीस बरीस बाद पहिला बेर नइहर आवत रही. एह बीचे ऊ बहू-बेटी, नाती-नतकुर वाली हो…

बिना ओरिचन के खटिया

विष्णुदेव तिवारी फूआ, माने गिरिजा फूआ-पुरुषोत्तम के बाबूजी के छोटकी बहिन- बाति ए तरी पागेली जे शब्द केनियो ले भरके ना पावसु लोग। अनचक्के में केहू के खींचि ले जइहें…

चितकबरा पहाड़ वाला गाँव

अशोक द्विवेदी चितकबरा पहाड़ का अरियाँ अरियाँ जवन ऊँच-खाल डहरि ओने गइल रहे, ओकरा दूनो ओर छोट-बड़ गई किसिम के बनइला फेंड़ रहलन स. कुछ हरियर पतई से झपसल आ…

कथा भर औकात – (पुरातन अन्दाज में एगो नया कहानी)

प्रकाश उदय एगो कवना दो देश में, एगो राजा रहन. रजवा के सात गो रानी रही. सातो रनियन से एकए गो लइका रहे. जवना रानी से पुछाय तवन बतावे कि…

गुदगुदी में लोर

आशारानी लाल अबहिंए सोझा एतना न परछाई रेंगत रहीसन कि ना बुझाय कि कवना के ढेर निहारीं आ कवना के कम। मन अउँजिया गइल रहे। देखलीं कि कुल परछाइँयन बिचे…