– वैभव नाथ शर्मा
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं |
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम् ||
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं |
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम् ||
ऐंद्रिक सुविधा से शारीरिक सुख मिलेला बाकिर अपना के ‘स्व’ का सुख में पहुंचइले बिना सभ सुख क्षणिक आ निराधार होला. अनुकूलता के सुख तुच्छ होला आ आत्मा के सुख परम शिव जइसन होला. सौंदर्य से प्रेम एक ना एक दिन खतम हो जाई बाकिर स्वयं पर कृपा करत परमात्मा से कइल प्रेमे श्रेयस्कर होला. पृथ्वी, जल, तेज, वायु अउर आकाश के अर्घ्य आत्मशिव के प्रसन्नता ला करीं त सच्चिदानंद शिव के साक्षात्कार करे में सफलता मिल सकेला. जवन आदमी तटस्थ भाव से व्यवहार करेला ऊ शिवे के पूजा करेला. हिन्दू सनातन परम्परा में साल में चार गो महारात्रि मानल गइल बा, दीपावली के कालरात्रि, शिवरात्रि के महारात्रि, जन्माष्टमी के मोहरात्रि आ फगुआ के अहोरात्रि कहल गइल बा. एह में कइल गइल ध्यान, भजन, जप, तप अनंत गुना फल देबेला. कालरात्रि (महाशिवरात्रि) जीवन के धन्य बनावे वाली राति ह.
अभिषेक अनुष्ठान
देवाधिदेव शिव का रुद्राभिषेक सकाम अनुष्ठान ह. जवना में यदि सम्पूर्ण विधि विधान का साथ संकल्पित काम खातिर शिवजी के अभिषेक करीं त कार्य सिद्धि जरुर होखी. भगवान शिव के अभिषेक कई तरह से कइल जाला. भगवान शिव स्वयं शिव पुराण में कहले बाड़न कि कुछ अइसन विशेष पदार्थ बाड़ी सँ जवना से उनकर मंत्रोचारण का साथ अभिषेक कइला से जातक, साधक के सगरी इच्चित काम पूरा हो जाला.
सगरी सुख पावे खातिर जलाभिषेक : जल से,
समृद्धि पावे खातिर दुग्धाभिषेक : दूध से,
रोग से मुक्ति खातिर कुषा के जल से,
धन प्राप्ति खातिर मधु भा ऊँख का रस से,
शत्रु के शांत करावे खातिर सरसों के तेल से ( ई एगो गंभीर प्रयोग ह, योग्य वेदाचार्य का देखे रेख में करीं ना त खराब परिणाम हो सकेला.)
शांति पावे खातिर घीव से,
पशु रक्षा खातिर दही से,
केहू के बुद्धि शुद्ध करे खातिर दूध, गंगा जल में शक्कर मिला के ओकरा से अभिषेक करीं.
कारोबार में बढ़ोतरी खातिर
महाशिवरात्रि के सिद्ध मुहर्त में पारद शिवलिंग के प्राण प्रतिष्ठित करवाके स्थापित कइला से व्यवसाय बढ़ोतरी आ नौकरी में तरक्की मिलेला.
बाधा हटावे खातिर
शिवरात्रि के प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग के शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद आ शक्कर से स्नान करवा के धूप-दीप जला के नीचे लिखल मंत्र के जाप कइला से सगरी बाधा हट जाले.
॥ॐ तुत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात्॥
गंभीर रोग से छुटकारा खातिर
शिव मंदिर में लिंग पूजन कर के दस हज़ार बार मंत्र के जाप कइला से रोग से मुक्ति मिल जाले. महामृत्युंजय मंत्र के जाप रुद्राक्ष का माला पर करीं.
शत्रु के नाश करे खातिर
शिवरात्रि के रूद्राष्टक के पाठ यथासंभव कइला से शत्रुअन से मुक्ति मिलेला, मुक़दमा में जीत आ सगरी सुख के प्राप्ति होला.
मोक्ष पावे खातिर
शिवरात्रि के एकमुखी रूद्राक्ष के गंगाजल से नहवा के धूप-दीप देखा के तख्ता पर साफ कपड़ा बिछाके स्थापित करीं. शिव रूप रूद्राक्ष के सामने बइठ के सवा लाख मंत्र जप के संकल्प लेके जाप आरंभ करीं. जप शिवरात्रि का बादो जारी राखीं जबले सवालाख जाप पूरा नइखे हो जात.
ॐ नम: शिवाय।
वैभव नाथ शर्मा जी प्रतिष्ठित वास्तु शास्त्री, अंक शास्त्री, आ ज्योतिषी हईं. इहाँ के कार्यक्रम अलग अलग टेलीविजन चैनलन पर आवत रहेला. काशी के होखला का चलते भोजपुरी से विशेष अनुराग बा आ अँजोरिया के पाठकन खातिर ज्योतिष आ वास्तु शास्त्र से जुड़ल आपन सलाह समय समय पर देत रहे के तइयार हो गइनी. वैभवनाथ शर्मा जी राजज्योतिषी परिवार से आवेनी. आशा बा कि वैभवनाथ शर्मा जी के आलेख से अँजोरिया के पाठकन के कुछ लाभ मिली.
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बहुत -बहुत मेहरबानी शर्मा जी की रउरा हमनी के समय -समय पर पूजा – अनुष्ठान के जानकारी दिहल करींला .
धन्यवाद !
ओ.पी.अमृतांशु