– वैभव नाथ शर्मा
फगुआ भा होली वसंत ऋतु में मनावल जाये एगो महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार ह. हिंदू पंचांग का अनुसार होली फागुन महीना के पुरनमासी के मनावल जाला. रंग के त्योहार कहल जाये वाला ई पर्व पारंपरिक रूप से दू दिन के पर्व होला. पहिला दिने, माने कि पुरनमासी के पहिले वाला साँझ के सम्मत भा होली जरावल जाले जवना के होलिका दहनो कहल जाला आ जवन बुराई पर अच्छाई के जीत के प्रतीक ह. ओकरा बाद दोसरा दिने धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल भा धूलिवंदन का साथ होलिका के राख के प्रणाम करिके ओकरे से होली खेलल शुरु कइल जाला. एक दूसरा पर रंग, अबीर-गुलाल डालत उत्साह साथ ई पर्व मनावल जाला. घरे-घरे जा के अपना हित मित नात रिश्तेदार के रंग अबीर लगावल जाला आ होली के बधाई दिहल जाला. अइसन मानल जाला कि होली का दिने लोग आप पुरान कटुता, बैर भाव, तनाव भूला के गले मिल जाला आ फेर से दोस्त बन जाला. होलिका वाली रात तंत्र साधना भा कवनो तरह के साधना खातिर बहुते काम के मानल जाला. एह रात जानकार साधक अपना साधना में अउरी बढ़ोतरी करेले आ जे लोग अपना कष्ट भा समस्यन से मुक्ति चाहऽता ऊ लोग एह दिने कुछ खास प्रयोग कर के अपना आ अपना परिवार के सुरक्षित कर सकेला.
पहिलका प्रयोग :- सवा मीटर लाल कपडा, १०० ग्राम चावल, १०० ग्राम दही, आ एगो जलदार नारियल लीं.
ओकरा बाद घर के इशान कोण ( उत्तर पूरब वाला कोना) में जाके लाल कपडा बिछा दीं आ ओह पर दही, चावल खुला रख दीं. साथ में नारियलो रख दीं. फेर पूरा घर के एक बेर परिक्रमा करीं. एकरा बाद ओह लाल कपडा के ओह पर राखल सगरी सामान का साथ एगो मोटरी बान्ह लीं आ अगल बगल के कवनो नदी, तालाब, पोखरा, इनार में विसर्जित करके घरे लवटि आईं. ध्यान रहे कि लवटत घड़ी पीछे मुडे के नइखे देखे के, ना ही केहू से कवनो बातचीत करे के बा. ई प्रयोग अतना शक्तिशाली ह कि एकरा से रउरा परिवार पर आइल कवनो तरह के उपरी ब्याधि भा समस्या तुरते खतम हो जाई.
दोसरका प्रयोग :- सरसों के उबटन बना के अपना देहि पर मलीं आ ओकरा बाद निकलल गंदगी के होलिका में डाल दीं.
होली का दिने वाला प्रयोग :- वइसे त होली के दिन हर तरह के तंत्र प्रयोगन खातिर जानल जाला बाकिर जब केहू के आर्थिक समस्या बेसी होखे त ओकरा एह दिने कुछ ना कुछ सात्विक प्रयोग जरुरे करे के चाहीं. माँ लक्ष्मी के आराधना श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र का माध्यम से भा लक्ष्मी गायत्री का माध्यम से जरुर करीं, सगरी कष्टन से मुक्ति मिल जाई.
वैभव नाथ शर्मा जी प्रतिष्ठित वास्तु शास्त्री, अंक शास्त्री, आ ज्योतिषी हईं. इहाँ के कार्यक्रम अलग अलग टेलीविजन चैनलन पर आवत रहेला. काशी के होखला का चलते भोजपुरी से विशेष अनुराग बा आ अँजोरिया के पाठकन खातिर ज्योतिष आ वास्तु शास्त्र से जुड़ल आपन सलाह समय समय पर देत रहे के तइयार हो गइनी. वैभवनाथ शर्मा जी राजज्योतिषी परिवार से आवेनी. आशा बा कि वैभवनाथ शर्मा जी के आलेख से अँजोरिया के पाठकन के कुछ लाभ मिली.
अपना व्यक्तिगत समस्या खातिर रउरा शर्मा जी से संपर्क कर सकीलें. उहाँ के संपर्क सूत्र नीचे दिहल जा रहल बा
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