चम्पारण के लोग हँसेला

by | Feb 16, 2017 | 0 comments

– हरींद्र हिमकर


उत्तर ओर सोमेसर खड़ा,
दखिन गंडक जल के धारा |
पूरब बागमती के जानी,
पश्चिम में त्रिवेणी जी बानी |
माघ मास लागेला मेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

त्रिवेणी के नामी जंगल,
जहँवा बाघ करेला दंगल |
बड़का दिन के छुट्टी होला,
बड़-बड़ हाकिम लोग जुटेला |
केतना गोली रोज छुटेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

नदी किनारे सुन्दर बगहां,
मालन के ना लागे पगहा |
परल इन्हा संउसे बा रेत,
चरके माल भरेलें पेट |
रेल के सिलपट इन्हा बनेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

इन्हा मसान नदी बउरहिया,
ऊपर डुगरे रेल के पहिया |
भादो में जब इ फुफुआले,
एकर बरनन करल ना जाले |
बड़का-बड़का पेड़ दहेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

इहे रहे विराट के नगरी,
जहँवा पांडव कईलें नौकरी |
अर्जुन इहंवे कईलें लीला,
इहंवे बा विराट के टीला |
बरनन वेद-पुराण करेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

परल इंहवा पानी के टान,
अर्जुन मरलें सींक के बाण |
सींक बाण धरती में गईल,
सिकरहना नदी बह गईल |
जेकर जल हर घड़ी बहेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

रामनगर राजा नेपाली,
माँगन कबो ना लौटे खाली |
इहाँ हिमालय के छाया बा,
इन्हा अजबे कुछ माया बा |
एही नदी में स्वर्ण दहेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

रामनगर के धनहर खेती,
एकहन खेत रोहू के पेटी |
चार महीना लोग कमाला,
आठ महीना बइठल खाला |
दाना बिना केहू ना मरेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

इहाँ जाईं चानकी पर चढ़,
देखीं लौरिया में नंदनगढ़ |
केहू कहे भीम के लाठी,
गाड़ल बा पत्थर के जाथी |
लोग अशोक के लाट कहेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

नरकटियागंज देखीं गाला,
मंगर शनिचर हाट के हाला |
लेलीं बासमती के चाउर,
अन्न इहाँ ना मिली बाउर |
भात बने बटुला गमकेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

आगे बढीं चलीं अब बेतिया,
बीच राह में बा चनपटिया |
इहाँ मिले मरचा के चिउरा,
किन-किन लोग भरेला दउरा |
गाड़ी-गाड़ी धान बिकेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

बेतिया राजा के राजधानी,
रहलें भूप करन अस दानी |
पच्छिम उदयपुर बेंतवानी,
बढ़िया सरेयाँ मन के पानी |
दूर-दूर के लोग पियेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

बेतिया के मीना मशहूर,
गिरजाघर भूकंप में चूर |
बाड़े अबतक बाग़ हजारी,
मेला लागे दशहरा के भारी |
हाथी घोडा बैल बिकेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |
आलू डगरा बस बेतिया के,
भेली सराहीं जोगिया के |
गुड़ चीनी के मात करेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

बेतिया के दक्षिण कुछ दूर,
बथना गाँव बसल मशहूर |
इहाँ बा लाला लोग के बस्ती,
धंधा नौकरी और गिरहस्ती |
एमे केतना लोग बसेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

चंपारण के गढ़ मोतिहारी,
भईल नाम दुनिया में भारी |
पहिले इहे जिला जागल,
गोरन का मुँह करिखा लागल |
नीलहा अबतक नाम जपेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

गाँधीजी जब भारत में अइलें,
पहिले इंहवा सत्याग्रह कईलें |
लीलाहा देखी भाग पराईल,
तब से ना चंपारण आइल |
मोतिहारी के नाम जपेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

इन्हवे बसल सुगौली भाई,
गोरे-गोरखे भइल लड़ाई |
हारे पर जब भइलें गोरा,
धर दिहलें गोली के बोरा |
भईल सुलह इतिहास कहेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |
कँवरथिया के देखीं राबा,
अरेराज बउराहवा बाबा |
नामी अरेराज के मेला,
आके दरशन लोग करेला |
फगुनी तेरस नीर चढ़ेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

छपरा जिला गोरखपुर बस्ती,
जेकर इहाँ होत परवस्ती |
केहू नोकरी केहू नाच करेला,
माँगन लोग दिन-रात रहेला |
केतना लोटा झाल बजेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |
खाए में जब खटपट भइलें,
भाग के तब चंपारण अइलें |
माँगी-चाँगी के धन-धान कमइलें,
माँगन से बाबू बन गईलें |
अइसन केतना लोग बसेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

सब दिन खईलें सतुआ लिट्टी,
इहाँ परल देहिया पर पेटी |
बाप के दुःख भूल गईलें बेटा,
भोर परल माटी के मेटा |
अब त लाख पर दिया जरेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

का करिहें कविलोग बड़ाई,
जग चंपारण के गुण गाई |
आपन कमाई अपने खाला,
केहू से ना मांगे जाला |
ए देख दुश्मन ठठुरेला,
चंपारण के लोग हँसेला | |

रहलें उ कविचूर के साथी,
इहंवे के भईया देहाती |
कविता बा उ देहिया नइखे,
गगरी भरल खींचाते नइखे|
रटना अबहीं लोग करेला,

चंपारण के लोग हँसेला | |

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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