ई अतते कबले (बतकुच्चन – १२६)

by | Sep 20, 2013 | 0 comments


ई अतते कबले, जब ले चले तबले. पिछलका पख में संसद से लिहले सड़क ले कुछ अइसने नजारा देखे के मिलल जवना से मन में ई सवाल उठ गइल कि ई अतते कब ले? आ संगही जबाबो मिल गइल कि जब ले चले तबले. कवनो अति तबहिए ले चल पावेला जब ले ओकरा के भुगते वाला बरदाश्त करत रहे. जहिया उठ खड़ा होखी तहिया अति करे वाला के बोलती बंद हो जाई. एगो अति देखे के मिलल जवना के एगो कहाउत मे कहल जा सकेला कि अनका धन प कनवा राजा. भा अनकर धन पाईं त नौ मन लुटाईं. जेब में फूटल कौड़ी नइखे बाचल बाकिर बेवहार बनावे के कोशिश होखत बा धन्ना सेठ के कि हम हतना लोग के हतना बाँट देब. ए रानी कहवाँ से? से हमरा से मत पूछऽ हमरा बाँटे के बा त बाँटब. कहवाँ से आई एकर इन्तजाम तू लोग क के द.

एगो दोसर अति देखे के मिलल सड़क पर. दिल्ली के एगो प्रवचक के खिलाफ वारंट बरीसन से तामिल नइखे हो पावत. बहुते लोग के त इयादो ना रहल होखी कि केहू का खिलाफ कवनो वारंटो बाचल बा तामिल होखे से. कवनो भंड़ुआ मीडिया चैनल वाला ओकर सवाल ना तब उठवले ना अब उठइहें. कहल जाला कि कानून का सोझा सभे बरोबर होला बाकिर बेवहार में ई बात देखे के ना मिले. एक फरीक का खिलाफ जारी वारंट ना तामिल हो पावल ना हो पाई. सरकार चाहे जेकर होखे ओकरा ओर केहू आँख उठा के ना देख पाई. काहे कि ओकरा में अतना बेंवत बा कि देखेवाला के आँख निकाल देई. ओहिजे दोसरा फरीक के एक आदमी के इज्जत बीच सड़क पर उतार देबे में तनिको हिचक ना होखल. बस आरोप लागल आ भँड़ुआ मीडिया ओकरा के दोषी कह के सजा सुनावे लागल.

खैर, कहल जाला कि कहाउत आ मुहावरा में अतने फरक होला कि कहाउत अपने में पूरा होला बाकिर मुहावरा पूरा करे खातिर ओकरा के कवनो वाक्य में समेटे के पड़ेला. अइसने दू गो मुहावरा हऽ इज्जति उतारल आ मामर हेठ कइल. इज्जति आ मामर में तनिके सा फरक होला. मामर माने होला अपना पर अभिमान कइल भा घमंड कइल. अब अभिमान आ घमंड त अलग अलग होला. करे वाला के अभिमान लागेला बाकिर सोझा वाला ओकरा के घमंड कहि सकेला. वइसहीं इज्जत ह. इज्जत अतना कमजोर, अतना फाँफर होले कि तनिको सा खरोंच लगते फाट जाले. मामर वाला के मामर हेठ कइला का बादो ऊ फेर आपन मामर जीया सकेला बाकिर इज्जत उतरला का बाद दुबारा ना चढ़ि पावे.

बस एही भरोसे मामर वाला लोग दोसरा के इज्जति उतारे में लागल बा. आ हमहन के अतने पर संतोष करे के बा कि ई अतते कबले? ढेर दिन ले चले ना दिहल जाई तबले कर लऽ. बाकिर इहो इयाद राखीं कि आपन धियवा नीमन रहीत त बिरान पारीत गारी? कमजोरी हमहन में ना रहीत त दोसरा के अतना बेंवत कहाँ जे हमहन के गरिया लीत. अगिला बेर एह बात के ईयाद राखब. कहीं मौका चूक मत जाव.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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