नियर आ नियरा के चरचा (बतकुच्चन १५१)

by | Mar 12, 2014 | 0 comments

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बड़ बूढ़ लोग गलत नइखे कहि गइल कि नियरा के बारात देरी से लागेला. काहे कि अदबद के कुछ ना कुछ अइसन हो जाला कि सगरी इंतजाम आ सोचावट धइले रहि जाला आ काम बिगड़े का कगार प आ जाले. खास क के तब जब पीर बवर्ची भिश्ती खर सभके काम एके आदमी के करे के होखे. एने सम्हारऽ तले ओने कुछ ना कुछ अझुराए लागेला. कई बेर एह बतकुचनो का फेर में इहे हो जाला. सोच के रखले रहीले कि अबकी के बतकुच्चन में एह बात के चरचा करब तबले आखिरी घड़ी आ जाले. आदमी के सहज सुभाव होखेला आखिरी तारीख, आखिरी घड़ी ले इंतजार करे के. एह चलते कबो बिजली भा फोन बिल समय प ना भरा पावे त कबो फारम भरे के आखिरी तारीख छूट जाला. आजुओ कुछ अइसने हो गइल बा. खैर ई त भइल घेर बान्हे के तरीका जवना के कुछ लोग भुमिको कहेला.

आजु सोचत बानी कि नियर आ नियरा के चरचा क लीहल जाव. एह दुनू शब्द से रउरा सभे बढ़िया से परिचित होखब. बाकिर अधिका उमेद बा कि नियार शब्द रउरा कुछ अनचिन्हार बुझाव. एह अनचिन्हार का ठीक उलटा होला परिचिताह. सोचीं त परिचित आ परिचिताह में थोड़िका अंतर मानल जा सकेला. परिचित परिचित होखेला जबकि परिचिताह हो सकेला कि अपरिचित होखला का बादो कवनो कारण से परिचिताह लागे. राहे पेड़ा में कबो कबो अइसन चेहरा लउक जाला जवन सोचे ला मजबूर क देला कि ई त कवनो परिचिताह लागत बा आ दिमाग घूमे लागेला ओह चेहरा नियर कवनो दोसर चेहरा याद करे में. एह बात का बाद नियर के मतलबो समुझ में आ गइल होखी. नियर माने मिलता जुलता, एक जस, एक समान. आ जब बात करीब के होखे त समुझ नइखीं पावत कि नियरा से नियर बनल कि नियर से नियरा. अधिका उमेद हमरा त इहे लागत बा कि नियरे से नियरा बनल होखी. बहुते मिलत जुलत एक समान के नियर कहल जाला आ जब दू जगहा के पता एके नियर हो जाव त ओकरा के नियरा कहे में का दिक्कत. दोसरे भोजपुरी के सुभाव होला एक शब्द से अनेके शब्द बना लिहल. नियरा बा, नियरे बा, अब नियरा गइल बा, नियराइल बा. एह चरचा का बाद नियर आ नियरा के अंतर त एकदम साफ हो गइल बाकिर ई नियार का होला?

साँच कहीं त पहिला बेर में हमरो नियार समुझे में दिक्कत भइल रहे. दोंगा, तेंगा, विदाई त सुनले रहीं बाकिर नियार सुने के मौका ना मिलल रहुवे ओहसे पहिले. नियार बाप का घर से बेटी के बोलावा के दिन होला. माने कि नियार विदाई से उलट भइल. विदाई में बेटी बाप के घर से बाहर जाले जबकि नियार में उ अपना घरे आवेले. बाकिर नियार के एगो मतलब अउर होला. जहाँ सोना चाँदी के काम होला ओहिजा के कूड़ा करकट के नियार कहल जाला. एह नियार में से नियरा लोग सोना चाँदी के कण टुकड़ा खोजत रहेला. छानत रहेला.

अब रउरा आजु के बतकुच्चन के नियार छानीं हम चलत बानी दोसर काम सलटावे..

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(1)
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(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
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