– ओ.पी. अमृतांशु
टपऽ- टपऽ चुअता पसेनवा
हायॅ राम भइल बा उखमवा !
चैन बा दलानी नाहीं
बाग-फुलवारी,
लेई लुकवारी धावे
पछुआ बेयारि,
उसिनाई गइल बा परानवा
हायॅ राम भइल बा उखमवा !
पोखरा – ईनरवा के
होठवा झूराई गइल,
खेतवा के नन्ही -नन्ही
डिभी झकोराई गइल ,
छछनी के पीहुके पपिहवा
हायॅ राम भइल बा उखमवा !
गरमी जवानी थाम्हऽ
बरखा ये रानी आवऽ,
जरती भुभुरिया के
हिकवा मिटानी आवऽ
छम-छम बारिसऽ अँगनवा
हायॅ नाची मन के मयूरवा.
टपऽ- टपऽ चुअता पसेनवा.
हायॅ राम भइल बा उखमवा !
जीवन से जुडल गीत काफी प्रभावपूर्ण लागत बा .”उसिनाई गइल बा परानवा” में केतना दर्द झलकत बा .
धन्यवाद !अमृतांशु जी
किरण
उसिनाई गइल बा परानवा
हायॅ राम भइल बा उखमवा !
वाह बहुत अच्छा रचना बा .मजा आ गइल.
भोला प्रकाश
VERY BEAUTIFUL SUMMER SONG