गीत

by | Mar 27, 2017 | 1 comment

– शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’

हम गरीबने पर अइसन, अन्हेर काहें?
देहि धुनलो पर खइला में देर काहें?
दिन भर करत-करत काम, झाँवर हो गइले चाम,
छिन भर देहिया के सुबहित ना, मिलले आराम,
नीक कइलो पर विधना क फेर काहें?
का अंजोर का अन्हार, एकही लेखा हमार,
कबो सूखा के मार, कबहीं ठरवत टुसार,
महँगी घहरेले हमरे, मुड़ेंर काहें?
कहलऽ आई सुराज, होई समता के राज,
ऊँच-नीच, भेद-भाव, रहित होई समाज,
हमके तनकी सा, उनका के, ढेर काहें?


शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’
ग्रा0पो0-मैरीटार, बलिया

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1 Comment

  1. amritanshuom

    एतना सुनार कविता -गीत लिखे में देर कहे ? जय भोजपुरी।

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अँजोरिया के भामाशाह

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यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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