– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
पगे पग ठोकर समय के नचवना
कइसन जिनगी सटत रोज पेवना.
घुमल अस चकरी पलिहर जोताइल
नमियो ना खेते बीया बोआइल
उमेदे से अंखुवा , फोरी न भुंइयाँ
इहे किसानी ,आ ओकर बोलवना. कइसन जिनगी……
बहल पछिमहिया बीरवा झुराइल
अब माथे लउर , आउर घहराइल
जरल नाही चूल्हा कई कई बेरा
बबुआ क बतिया कटइला बिछवना. कइसन जिनगी……
झै – झै आ कट कट सांझे सबेरे
बिना दिया बाती कुच कुच अन्हेरे
फाटल झुल्ला शरम टुक्का टुक्का
इहे बा मजूरी, टाटी क छवना. कइसन जिनगी……
भुंवरी बा बिसुकल बबुनी लोराइल
भइल बन गोइंठा दुअरे पथाइल
कोयर ना भूसा , टटाले भुंवरी
मुवल नेकनीयत बिसरल सपना. कइसन जिनगी……
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सूरत ना हमरी निहारी ए राजा
सीरत के बतिया बिचारीं ए राजा.
ढलती उमिरिया मे चिचुकल चेहरवा
अचके भुलाइल गावल कहरवा
केतना ई देहिया निखारी ए राजा. सीरत के बतिया………..
कसक न मनवा ठसक नाही चलिया
कनवाँ मे करकत सरकेले बलिया
बीतल जवन मत उचारीं ए राजा. सीरत के बतिया………..
गरदिश मे नीकसल बाली उमिरिया
भइल मोहाल मोर तिरछी नजरिया
हियवा के टीस मत उभारीं ए राजा. सीरत के बतिया………..
कहवाँ बचल अब पतरी कमरिया
घेरले जाता रोजे नवकी बीमरिया
पहिलकी पिरितिया सभारीं ए राजा. सीरत के बतिया………..