– लाल बिहारी लाल
झूके ना देब अब तिरंगा के शान
लेवे भा देवे परे केतनों के जान.
झूके ना देब अब तिरंगा के शान.
त्याग तपस्या के ई अजब कहानी बा
आन बान शान के ई परम निशानी बा
जनता जनारदन के ईहे बा पहचान.
झूके ना देब अब तिरंगा के शान.
सहब नहीं अब पड़ोसी के नखरा
होखे ना देब अपना माटी के बखरा.
हमके त बा ई देश पर गुमान.
झूके ना देब अब तिरंगा के शान.
गीदर के भभकी अब काम नाहीं आई
मुँह में राम बगल में छूरी चल ना पाई.
ईंट के पत्थर से होई समाधान.
झूके ना देब अब तिरंगा के शान.
शहीदन के शत-शत नमन हमार बा
आजादी के पावन ई परब-त्योहार बा.
लाल न्योछावर करी आपन जान.
झूके ना देब अब तिरंगा के शान.
*सचिव लाल कला मंच,नई दिल्ली-44
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