जब आदमी का लगे मुद्दा के कमी हो जाला त ऊ बेमतलब के मुद्दा उठावे लागेला. भाजपा के विरोधियनो के इहे हाल हो गइल बा. मोदी के घेरे लायक वइसन मुद्दा जवन आम आदमी से सरोकार राखत होखो ना मिलला का चलते ई लोग हवा में लुकारी भाँजे में लागल बा.
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक्स पर लिखले बाड़ी कि ऊ हरान परेशान बाड़ी कि एन चुनाव का दौरान दूरदर्शन आपन लोगो बदल के कहल का चाहत बा. आ चुनाव आयोग काहे नइखे रोकत –
Didi! You also joined BJP? Why do you think Saffron belongs to BJP? pic.twitter.com/ga67fymFcy
— Facts (@BefittingFacts) April 20, 2024
ममता दी के ट्विट का जवाब में आइल ट्वीट के एगो मजगर जवाबो शामिल बा.
योर स्टोरी पर छपल लेख में बतावल गइल बा कि दूरदर्शन के लोगो नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ डिजाइन के विद्यार्थी रहल देवाशीष भट्टाचार्य के बनावल हवे आ एकरा के साल 1970 में इंदिरा गाँधी सरकार का दौरान सकारल गइल रहुवे. ई लोगो आँख के प्रतीक ह जवना में उपर नीचे के दू पलकन का बीचे क पुतरी दुनिया देखावेले.
ओह घरी एकर रंग नीला रहुवे आ ओकरा नीचे “सत्यम शिवम सुन्दरम” के ध्येय वाक्य शामिल रहुवे. बाद में हिन्दुत्व से परहेज राखे का बेमारी का चलते ध्येय वाक्य “सत्यम शिवम सुन्दरम” के बलि चढ़ा दीहल गइल. एह बदलाव पर कवनो होहल्ला ना मचल काहे कि ई ओह बदलाव का मुकाबले कुछ ना रहल जब संविधान से भगवान श्रीराम के दरबार के चित्र हटा दीहल गइल. काहे कि और भी गम हैं जमाने में केजरीवाल के सिवा ! हल्ला त तबो ना मचल जब संविधान का प्रस्तावना में इमरजेन्सी का दौरान सेकूलर शब्द घुसेड़ दीहल गइल रहल.
बाकिर अब जब दूरदर्शन आपन लोगो भगवा रंग के बना दिहलसि त देश का आस्तिन में डेरा बना लिहले हरियरका साँप फुफकारल शुरु कर दिहले बाड़न स. कहेवाला त कहिए सकेलें कि साँप के रंग कुछऊ हो जाव रही त ऊ साँपे. ओहि तरह दूरदर्शन के रंग कुछऊ हो जाव रही त ऊ दूरदर्शने. एक जमाना में प्रसाभारती के सीईओ रहल जौहर सिरकार के ( Jawhar Sircar के उच्चारण जौहर सिरकार कइल गलत ना होखी शायद) कहना बा कि दूरदर्शन के भगवाकरण हो रहल बा. त अगर दूरदर्शन अपना लोगो के रंग हरियर कर देव त ओकरा के हरवाकरण कहल जाई कि इस्लामीकरण. जौहर जब सीईओ रहलन तवने घरी एह रंग के चढ़ा दिहले रहतन त भाजपा सरकार के हिम्मते ना होखित ओह रंग के बदले के.
अमित शाह कहते बाड़न कि तिसरको बेर सरकार बन जाई तबो संविधान से सेकूलर फच्चर ना निकालल जाई.
बे बात के एह बतंगड़ पर सोचनी कि रउरा सभे के फिलिम धरम करम के ऊ गीत सुनवा दीं कि – बात थी यार एक बेर की, बढ़ कर हो गई सवा सेर कि. बाकिर हिन्दी के गाना पर अश्लीलता के अछरंग मत लगावे केहू एह चलते नइखीं सुनावत. रउरा सुनही के मन होखे त यूट्यूब पर जा के सुन लीं.
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