गाछ ना बिरिछ तहाँ रेंड़ परधान

by | Apr 20, 2024 | 0 comments

जब आदमी का लगे मुद्दा के कमी हो जाला त ऊ बेमतलब के मुद्दा उठावे लागेला. भाजपा के विरोधियनो के इहे हाल हो गइल बा. मोदी के घेरे लायक वइसन मुद्दा जवन आम आदमी से सरोकार राखत होखो ना मिलला का चलते ई लोग हवा में लुकारी भाँजे में लागल बा.

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक्स पर लिखले बाड़ी कि ऊ हरान परेशान बाड़ी कि एन चुनाव का दौरान दूरदर्शन आपन लोगो बदल के कहल का चाहत बा. आ चुनाव आयोग काहे नइखे रोकत –

ममता दी के ट्विट का जवाब में आइल ट्वीट के एगो मजगर जवाबो शामिल बा.

योर स्टोरी पर छपल लेख में बतावल गइल बा कि दूरदर्शन के लोगो नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ डिजाइन के विद्यार्थी रहल देवाशीष भट्टाचार्य के बनावल हवे आ एकरा के साल 1970 में इंदिरा गाँधी सरकार का दौरान सकारल गइल रहुवे. ई लोगो आँख के प्रतीक ह जवना में उपर नीचे के दू पलकन का बीचे क पुतरी दुनिया देखावेले.

ओह घरी एकर रंग नीला रहुवे आ ओकरा नीचे “सत्यम शिवम सुन्दरम” के ध्येय वाक्य शामिल रहुवे. बाद में हिन्दुत्व से परहेज राखे का बेमारी का चलते ध्येय वाक्य “सत्यम शिवम सुन्दरम” के बलि चढ़ा दीहल गइल. एह बदलाव पर कवनो होहल्ला ना मचल काहे कि ई ओह बदलाव का मुकाबले कुछ ना रहल जब संविधान से भगवान श्रीराम के दरबार के चित्र हटा दीहल गइल. काहे कि और भी गम हैं जमाने में केजरीवाल के सिवा ! हल्ला त तबो ना मचल जब संविधान का प्रस्तावना में इमरजेन्सी का दौरान सेकूलर शब्द घुसेड़ दीहल गइल रहल.

बाकिर अब जब दूरदर्शन आपन लोगो भगवा रंग के बना दिहलसि त देश का आस्तिन में डेरा बना लिहले हरियरका साँप फुफकारल शुरु कर दिहले बाड़न स. कहेवाला त कहिए सकेलें कि साँप के रंग कुछऊ हो जाव रही त ऊ साँपे. ओहि तरह दूरदर्शन के रंग कुछऊ हो जाव रही त ऊ दूरदर्शने. एक जमाना में प्रसाभारती के सीईओ रहल जौहर सिरकार के ( Jawhar Sircar के उच्चारण जौहर सिरकार कइल गलत ना होखी शायद) कहना बा कि दूरदर्शन के भगवाकरण हो रहल बा. त अगर दूरदर्शन अपना लोगो के रंग हरियर कर देव त ओकरा के हरवाकरण कहल जाई कि इस्लामीकरण. जौहर जब सीईओ रहलन तवने घरी एह रंग के चढ़ा दिहले रहतन त भाजपा सरकार के हिम्मते ना होखित ओह रंग के बदले के.

अमित शाह कहते बाड़न कि तिसरको बेर सरकार बन जाई तबो संविधान से सेकूलर फच्चर ना निकालल जाई.

बे बात के एह बतंगड़ पर सोचनी कि रउरा सभे के फिलिम धरम करम के ऊ गीत सुनवा दीं कि – बात थी यार एक बेर की, बढ़ कर हो गई सवा सेर कि. बाकिर हिन्दी के गाना पर अश्लीलता के अछरंग मत लगावे केहू एह चलते नइखीं सुनावत. रउरा सुनही के मन होखे त यूट्यूब पर जा के सुन लीं.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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