– हरिराम पाण्डेय
राज्यसभा के 245 सीटन में से भाजपा के लगे 58 आ कांग्रेस का लगे 54 सांसद बाड़ें. अप्रैल में 55 सीटन पर होखे जा रहल चुनाव का बाद एह समीकरण में कुछ बदलाव आई बाकिर भाजपा के शायदे बहुमल मिल पाई. अकेले के बाते छोड़ीं, राजगो के मिला के ई नइखे होखे वाला.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के री बहुमत का साथे सत्ता में आइल भाजपा का बारे में राजनीतिक पंडितन के भविष्यवाणी रहल कि 5 बरीस बीतते राज्योसभा भाजपा के बहुमत हो जाई. बाकिर अइसन हो ना सकल. इहो कहात रहे कि आपन एजेंडा लागू करे खातिर सरकार संसद के संयुक्त सत्रो बोला सकेले बाकिर उहो ना भइल.
अब अपना संख्या बल का बूते कांग्रेस एर सरकार के अनेके विधेयकन के लटका के राखे में सफल हो गइल. अप्रैल का चुनाव का बादो एनडीए के गणित 35 फीसदे ले चहुँप जाई बाकिर ई आकंड़ा बहुमत से बहुते दूर रही. एहसे सरकार के आपन विधेयक पारित करावे में बहुते मेहनत भा मान मनउव्वत करे के पड़ी. ओने विपक्ष तय कर के रखले बा कि एह सरकार के रगड़ देबे के बा. विपक्षी कोशिश बा कि मोदी के एगो कमजोर इंसान का रूप में देखावल जाय.
मोदी जी के बॉडी लैंग्वेज आ बातचीत से झलकत उनका मनोविज्ञान से अइसन लागत बा कि मोदी जी महसूस करत बाड़ें कि “केहू समुझे के कोशिश नइखे करत कि ऊ अजना कुछ करज बाड़न, अतना कुछ कइल चाहत बाड़न.
दरअसल बहुमत प्राप्त नेतन का साथे ई अइसन सिंड्रोम बन गइल बा जवन हर काल में हर नेता का साथे भइल बा. एह निराशा कै दूर करे ला ऊ नेता अपना चमचन से राय लेबे लागेला. नेहरूओ अइसने कइलें, नतीजा भइल 1962 के चीन युद्ध. इमरजेंसी का दौरान इंदिरो जी नइहे कइली आ हालात अइसन बिगड़ल कि कांग्रेस बुरी तरह से हारल.
राज्यसभा के विपरीत समीकरण आ माथे आइल चुनाव देखत मोदी जी के बहुते सोच समुझ के ऊपरी सदन में कवनो विधेयक राखे के चाहीं.
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