भोजपुरी सिनेमा आ गीतन में फूहड़ता आ नंगई पसारत धंधेबाजन आ ‘ले दही’ करत प्रचारकन के जाल में अझुराइल भोजपुरी के जान अब साँसत में पड़े लागल बा काहे कि एह लोग के बेवहार अब सीमा का बाहर जा के दबंगई आ धमकी के रूप लेबे लागल बा.
भोजपुरी सिनेमा एक जमाने से कुछ गिरोहबाजन का चंगुल में फँस गइल बा. कवनो नीमन फिलिम बने ना दीहें ई लोग, आ बन जाव त चले ना दीहें. भोजपुरी सिनेमा के सबले बड़ बाजार बिहार आ झारखंड पर एह लोगन के कब्जा दम घोंटू हो चलल बा. ले दही से आजिज आ के कई बेर सोचनी कि भोजपुरी सिनेमा आ संगीत से हाथ झार लीं बाकिर मजबूरी ई बा कि भोजपुरी के जान बसेला गीत गवनई में आ ओकरे सहारा ले के भोजपुरी सिनेमा में. अइसहीं गायक से नायक नइखन बनत आइल भोजपुरी सिनेमा के हीरो. भोजपुरी गीत गवनई के प्यार लोग के भोजपुरी ओरि खींचेला आ अपना गायकी का बल पर गायक लोग नायक बनत जालें.
भोजपुरी सिनेमा आ संगीत में गिरावट के दौर कब आइल एह पर पूरा शोध पत्र लिखल जा सकेला. दयानन्द पाण्डेय के लिखल उपन्यास ‘लोक कवि अब गाते नहीं’ में एह पूरा हालात के सजीव चित्रण करत रेघरियावल गइल बा. बाकिर बात एहिजा ओह गिरावट के ना क के गिरल लोगन के कइल चाहत बानी. अपना धंधा खातिर झूठ के साँच बनावे में लागल ई लोग कवनो साधन ना छोड़े. साम दाम दंड भेद – हर विधा के इस्तेमाल होखेला. दाम के कम बाकी के अधिका. भोजपुरी वेबसाइट आजु ले आपन खरचो निकाले में सफल ना हो पइले काहे कि अपना भोजपुरी प्रेम का चलते आ पाठकन के पसंद धेयान में राखि के भोजपुरी सिनेमा आ संगीत के हर खबर एह वेबसाइटन पर छपत रहेला. बाकिर असल बात ओह कहाउत वाला बा कि ‘लाजे भवे बोलसु ना सवादे भसुर छोड़सु ना’. वेबसाइट वाला निहोरा क के रहि जालें बाकिर ई लोग कुछ देव ना. जबकि मीडिया में कहल जाला कि जवन रउरा छपावल चाहत बानी तवन विज्ञापन ह आ जवन लुकावल छिपावल चाहत बानी तवने असली खबर ह.
बाकिर ई लोग विज्ञापन छपवाई आ ओकर दाम ना दी काहे कि बिचवनिया रहेलें कुछ प्रचारक. अपने त पूरा दाम ले लेला लोग बाकिर आगे कुछ दिहल दिआवल ना चाहे ई लोग. एह लोग के काट कुछ अइसनो लोग बा जे गलत बात बरदाश्त ना करे आ ओकरा के सामने ले आवे के ‘जुर्रत’ कर देला. एहीमें के दू गो पत्रकार हउवें मधुप श्रीवास्तव आ संकेत कुमार. पिछला दिने भोजपुरी फिलिम ‘नगीना’ रिलीज भइल. प्रचारक लोग खबर भेजल कि ‘नगीना’ पचासन सिनेमा घर में लागल बा. इहाँ ले कि ई लोग अखबार का विज्ञापनो में ओहू सिनेमाघरन के नाम दे दिहल जहवाँ ‘नगीना’ लागले ना रहुवे. सिनेमा हाल वाले अलगे परेशान कि जवन फिलिम लागल बा तवना का बारे में दर्शकन के मालूमे नइखे आ जवना का बारे में मालूम बा तवन लागले नइखे. बाकिर संतोष क के रहि जाला लोग कि अखबार के विज्ञापन देखि के बहुत कमे लगो सिनेमा हाल चहुँपेला.
अब जब ‘नगीना’ के ’सच्चाई’ सामने आइल त फिलिम से जुड़ल लोग के छनछनाहीं के रहुवे. खबर सामने ले आवे वाला लोग के व्हाट्सएप ग्रुप पर आ फोन पर धमकी मिले लागल. कुछ दिन पहिले एगो दोसर खबर ला जोगीरा डाॅटकाॅम के धमकावल गइल रहे.
अब आईं ओह खबर जवना से नगीना आ नागिन के फरक भुला गइल. पहिला दिने लिखल गइल कि ‘नगीना’ के सिनेमाहाल नइखे मिलत. एगो रिपोर्ट इहो रहे कि ‘नगीना’ बिहार आ नेपाल मिला के बारहे गो सिनेमाघर में लागल बा. कुछ जगहा सिनेमा हाल भाड़ा प ले के फिलिम लगावल गइल.
दोसरका दिने खबर दिहल लोग कि छपरा के पंकज सिनेमा हाल के मालिक बतावत बाड़े कि उनुका हाॅल में हैपी न्यू ईयर लागल बा. कहलन कि हमनी का छोटका फिलिम लगाइबे ना करीं सँ काहें कि तब बढ़िया फिलिम मिलल मुश्किल हो जाई.
एकरा बाद शुरु हो गइल धमकावे आ हड़कावे के दौर. मधुप श्रीवास्तव के कहना बा कि खबर गलत बा त सुबूत संगे सही खबर मीडिया के दीं. मीडिया त हमेशा एह तरह के खबर लपके ला तइयार रहेला. साबित हो जाई कि मधुप झूठा है.
साथही सगरी मीडिया वालन से कहले बाड़न कि बिना प्रमाण के सुपर डुपर हिट वाला खबर मत लगावल जाव.
ई त भइल एक तरफ के बात. अब हम चाहब कि ‘नगीना’ फिलिम के निर्माता, वितरक आ प्रचारक लोग आपन पक्ष राखे जेहसे सभका पूरा खबर मिल जाव. ना त आधा गिलास भरल बा कि आधा गिलास खाली बा के झगड़ा में गिलसवा के अधियावे वाला निकहा निकल जाई.
देखत बानी कि जबाब आवत बा कि फोन कि ई मेल. जवन होखी रउरो सभे के बतावत चलब काहें कि हमार त पुरान नीति रहल बा ‘कबीरा खड़ा बाजार में सबकी पूछे खैर, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर!’
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