प्रेम में डूबल औरत अउर हम : दू गो कविता

- अल्पना मिश्र (1) प्रेम में डूबल औरत प्रेम में डूबल औरत एक-एक पल-छिन सहेजत-सम्हारत रहेले। ‘कइसे उठाईं ई ‘छन’ कहाँ धरीं जतन से...’ इहे सोच-सोच के कई बरिस ले…