टाइम्स आफ इण्डिया पर अपना ब्लाग में लिखत मिन्हाज मर्चेंट देश के राजनीति सुधारे ला कुछ राय दिहले बाड़न जवना पर एक नजर डालल जरूरी बा. एह ब्लॉग में कवनो खास राजनीतिक दल से पक्षपात नइखे कइल गइल काहे कि एह हम्माम में सबही लंगटा बा. को बड़ छोट कहत अपराधू वाला हाल बा.
ब्लॉग में लिखत मिन्हाज मर्चेंट अचरज जतवले बाड़े कि जब केन्द्रीय सूचना अधिकारी से देश के सगरी राजनीतिक दल विरोध जतवले बाड़न कि राजनीतिक गोलन के सूचना के अधिकार भा सार्वजनिक जाँच खातिर खोल दिहल जाव. एह गोलन भा पार्टियन के कहना बा कि चन्दा देबे वालन के नाम जाहिर होखला क बाद ओह दाता लोग के जिनिगी पर खतरा बढ़ जाई ! पिछला १ नवम्बर के भइल बइठक में कांग्रेस अइबे बा कइल बाकिर भाजपा, बसपा, सीपीएम, राकांपा वगैरह गोलन के लोग मौजूद रहल.
मर्चेंट आंकड़ा दिहले बाड़न कि साल २००४ ०५ से २०१० ११ का बीच कांग्रेस २००८ करोड़ आ भाजपा ९९४ करोड़ चन्दा बटोरलसि आ एहमें से अधिका के दाता के नाम नइखे बतावल जात. अपना ब्लॉग में राजनीति के जाँच खातिर खोले के वकालत करत मिन्हाज मर्चेंट लिखले बाड़न कि ५४३ लोकसभा सांसद, २५० राज्यसभा सांसद आ करीब ४००० विधायकन के चुनल जाला आ चुनाव जीतला के जनसेवा कम धनबिटोर के मौका बेसी मानल जाला. लिखले बाड़न कि तीन तरह के लोग चुनाव के टिकट हथियावे में सफल होलें, पहिला त ऊ जेकरा लगे टिकट खरीदे जोग धन होला, दोसरे ऊ जे कवनो खास वंश में जनमल होखसु आ तिसरे ऊ जे जाति मजहब का नाम पर वोट बिटोरे लायक समुझल जाले.
चुनाव में कुछ उम्मीदवारन के खरचा पार्टी उठावेले त कुछ उम्मीदवार आपन खरचा खुदे उठावेले. चुनाव लड़े वाला धन या त कंपनियन का तिजोरी से आवेला भा घोटाला के राहे आवेला.
मिन्हाज मर्चेंट खाली समस्ये नइखन गिनवले. सुझावो बा उनका लगे. लिखत बाड़ें कि कैग का लगे ४८००० कर्मचारी बाड़ें. ऊ चाहे त चुनाव आयोग का साथे मिल के राजनीतिक गोलन के फंड के लेखा जोखा देख सकेले. एह लेखा जोखा के सार्वजनिक कर दिहल जाव आ जवन गोल भा पार्टी एह जांच ला तइयार ना होखे ओकरा के चुनाव लड़े से बे हक कर दिहल जाव. साथ ही अपराधियन के चुनाव लड़े पर प्रभावी रोक लगावे के कोशिश होखे के चाही. एह खातिर तीन सदस्यीय जाँच समिति बनावल जा सकेला जे उम्मीदवारन के नाम पर वीटो कर सके. एह में मुख्य चुनाव आयुक्त, मुख्य निगरानी आयुक्त आ सर्वोच्च न्यायालय के एगो जज के राखल जा सकेला.
अतने ना, मर्चेंट इहो सलाह दिहले बाड़न कि सीबीआई के सरकारी दखलंदाजी से आजाद कर दिहल जाव. सीबीआई के काम पर निगरानी राखे खातिर फेर मुख्य निगरानी आयुक्त, मुख्य चुनाव आयुक्त आ सु्प्रीम कोर्ट के मुंख्य न्यायाधीश के समिति बनावल जा सकेला जवना से सीबीआई गलत राह पर मत जाव.
मिन्हाज मर्चेंट एह विडम्बना पर अचरज जतवले बाड़न कि सूचना के अधिकार का भीतर ले आवे का खिलाफ सगरी राजनीतिक गोल एकजुट हो गइल बाड़ें काहे कि सभका मालूम बा कि खुलापन में आवते ओह लोग के बहुते कुछ गँवावे के पड़ जाई. हालांकि जनता खातिर तब बस जीते जीत रही.
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