– दयानन्द पाण्डेय

manoj-mridulमनोज तिवारी भोजपुरी के बढ़िया गायक हउवें एहमें कवनो संदेह नइखे. लेकिन अबही-अबही जवन विवाद भरत शर्मा के साथे ले के मालिनी अवस्थी का विरोध में उ खड़ा कइले बाड़न ई उनका आ भोजपुरी के हित में हरगिज़ नइखे. भोजपुरी अकादमी के ब्रांड अंबेसडर मालिनी अवस्थी एह चलते ना हो सकसु कि उ अवधी के लोक गायिका हई, इ तर्क सीधा कुतर्क बा. एकर कवनो मतलब नइखे. साँच त ई बा कि कवनो भाषा भा संस्कृति केहू के जागीर ना होखे. का कवनो मुसलमान के संस्कृत एह ले जाने भा पढ़े के ना चाहीं कि ओह पर ब्राह्मणन भा हिन्दुवन के अधिकार बा. भा कवनो ब्राह्मण भा हिंदू के उर्दू एहले जाने भा पढ़े के ना चाहीं कि ओह पर मुसलमानन के अधिकार बा. बतावत चलीं कि हमार पितामह आ पड़पितामह दुनु लोग उर्दू के अध्यापक रहे. आ कि फेर अंगरेजी पर सिर्फ़ क्रिश्चियनने के अधिकार बा से केहू अउर के ना पढ़े जाने के चाहीं. एह तर्कन के कवन मतलब नइखे. ई त इलाकाई आ भाषाई राजनीति हो गइल. जवन इलाकाई राजनीति महाराष्ट्र में ठाकरे बंधु करत बाड़ें, भा जवन भाषाई राजनीति तमिल में करुणानिधि करत आइल बाड़ें उहे राजनीति मनोज तिवारी भोजपुरी में कइल चाहत बाड़न. लेकिन मनोज तिवारी के जान लेबे के चाहीं कि ई राजनीति भोजपुरी में चले वाली नइखे. भोजपुरी में ई दाल गले वाली हइए नइखे. एहले कि भोजपुरी बहुते मीठ आ बहुते उदार भाषा ह. दुनिया भर के भाषा ह. भोजपुरी में दुराव-छुपाव ना चले. सब कुछ सीधे-सीधे चलेला. भारत से निकल के मारीशस, फ़ीज़ी, सूरीनाम, त्रिनीदाद वगैरह देशन में भोजपुरी अपना एही ताकत के दम पर ना सिर्फ़ पहुंचबे कइल बलुक ओहिजा फरबो फुलाइबो कइल. आ लगातार बढ़ले जात बिया. करोड़ो लोग अगर दुनिया में भोजपुरी बोले आ सुनेले त भोजपुरी के उदारता आ बड़प्पने के नाते. ओकरा विरासते के नाते. सगरौ संस्कारन के गीत अगर कवनो भाषा में बा त भोजपुरीए में. सोरहो संस्कार के गीत. सझवाती-भोरहरी तक के गीत. श्रमगीतो एक से एक बाड़ी सँ. वास्तव में भोजपुरी भा कवनो भाषा के गरिमा ओकरा उदारते में बा. संकीर्णता में ना. छुआछूत में ना.

भोजपुरी भा कवनो भाषा के ई मर्यादा बचावल आ सम्हारल अकेले केहू एक के काम नइखे. ई सामूहिकता के काम बा. जइसे हिंदी आ उर्दू दुनु बहिन हईं सँ वइसहीं भोजपुरी आ अवधीओ दुनु बहिन हई सँ. एहनी के बहिनापा अलग कइल पाप होखी आ एहनी का साथे दुश्मनीओ. एक लिहाज़ से अवधी के भूगोल आ जनसंख्या भलही भोजपुरी से तनिका ना ढेरे कम बा तबहियों अवधी सही मायने में भोजपुरी के बड़की बहिन हिय. तुलसीदास के राम चरित मानस आ जायसी के पद्मावत जइसन श्रेष्ठ ग्रंथ अवधीए में बाड़ी सँ, भोजपुरी में ना. भोजपुरी में अइसन बड़हन ग्रंथ खोजले ना भेंटाव. भोजपुरी में अगर कुछ बड़हन बा त बस भिखारी आ उनकर रचना. जवन तुलसी आ जायसी के रचनन का सोझा बिला जाले. हँ लेकिन जइसे गंगा के पाट से बड़हन यमुना के पाट ह आ जब यमुना गंगा में मिल जाली त गंगो के पाट बड़हन हो जाला. ठीक वइसहीं जब अवधी आ भोजपुरी दुनु मिल के चलेली त एहनी के पाटो बड़हन हो जाला. एहनी के ठाट तब देखते बनेला. दिल्ली, मुंबई में जा के एह भषन के ताकत देखीं. दिल्लीओ सरकार के भोजपुरी अकादमी बनावे पड़ल बा. मुंबईओ में भोजपुरी वोटरन के रिझावे लुभावे ला तमाम तरकीब राजनीतिक पार्टी सब आज़मावत रहेली सँ.

आईं मनोज तिवारी अब तनिका गायकी के ज़मीनो पर बतिया लिहल जाव. आप त भोजपुरी फ़िलिमो में काम करीले. जानते होखब कि भोजपुरी फ़िलिमन में गाना लिखे वाला मशहूर गीतकार शैलेंद्र बिहार मूल के भलही रहले बाकिर पैदा पाकिस्तान में भइले. मज़रूह सुलतानपुरी कतना बढ़िया बढ़िया गाना भोजपुरी में लिखले. बाकिर मज़रुह उर्दू के शायर त रहबे कइले अवधी उनकर ज़ुबान रहल. लाले-लाले ओठवा से बरसे ला ललैया हो कि रस चुवेला, जइसे अमवा के मोजरा से रस चुवेला ! जइसन मधुर गीत रचे वाला मज़रुह अवधी के हउवें. आ एह गाना के गावे वाला तलत महमूदो अवधीए के हउवें. अउर त अउर लता मंगेशकर मराठी के हई. आ बतावत नीक लागत बा कि अबही ले कवनो गायिका लता मंगेशकर से बढ़िया भोजपुरी गीत नइखे गवले. आशा भोंसलेहू मराठी हईं. आशो जी भोजपुरी में एक से एक मधुर गीत गवले बानी. दुनु बहिन भोजपुरी में एक से एक डुएटो गवले बाड़ी कि सुन के मन भींज जाला. लहक जाला. मुहम्मद रफ़ी, मुकेश आ मन्ना डे ओ एक से एक सुरीला गाना गवले बाड़े भोजपुरी में. लागी नाहीं छूटे रामा चाहे जिया जाए ! याद बा? रफ़ी गवले बाड़न. हेमलता बंगाली हई लेकिन एगो ना अनेके भोजपुरी गीत गवले बाड़ी. नदिया के पार फ़िलिम में जे उ पहुना हो पहुना विवाह गीत गवले बाड़ी, अदभुत बा. अलका याज्ञनिको मराठी हई. उहो जुग-जुग जियेसु ललनवा सोहर जवना तन्मयता से गवले बाड़ी उ दोसर ना मिली. अउर त छोड़ीं आपन शारदो सिन्हा मैथिली भाषी हई. मैथिल, मगही, वज्जिको में खूब गावेली. लेकिन भोजपुरी गाना के माई कहल जाली. कल्पना त आसाम के हई आ का टूट के भोजपुरी गावेली. विजया भारतीओ मैथिल भाषी हई, मैथिली आ हिंदी में कवितो खूब लिखेली बाकिर उनकर पहचान भोजपुरी के बढ़िया गायिका के रुप में बावे. दलेर मेंहदी त पंजाबी हउवन लेकिन भोजपुरी गायकी में उनकरो कवनो सानी नइखे. पटना में पैदा भइल आ गोरखपुर में पलाइल पोसाइल दलेर मेंहदी भोजपुरी जीएलें. ई कमे लोग जानेला. पद्मा गिडवानी सिंधी हई बाकिर उनकर पहचान भोजपुरी गायिका के तौर पर बा. उनकर भोजपुरी गाना सुनत सुनत हमनी जइसन लोग उमिरगर भइल. उनका के सुन के केहू कहिए ना सके कि उ भोजपुरी वाली ना हई. ई फ़ेहरिश्त बहुते लंमहर बा. हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के गायकी, संगीत, अभिनय आ निर्देशन के दुनिया त मराठी, पंजाबी आ बंगाली लोगन से भरल पड़ल बा. त का हमनी का ओह लोग के खारिज कर देब? कला जे भाषाई आ इलाकाई हमला के औज़ारन में अझुरा गइल त कला रहियो पाई का भला? इला अरुण त उन्नाव उत्तर प्रदेश के हई लेकिन राजस्थानी गीत गावे में बेमिसाल बाड़ी त एहले कि उ राजस्थाने में पलइली बढ़ली. मालिनी अवस्थीओ अवधी के हई रउरा राय में मनोज तिवारी जी, बाकिर ई गलत बा. मालिनी त कन्नौज में पैदा भइली. उनकर ददिहाल आ ननिहाल दुनुए कन्नौज में बा. आ गायकी के गांव त उ मिर्ज़ापुर में देखली मोटे दू साल के उमिर मे. बड़की बहिन मल्लिका गाना सीखे बइठस त दू साल के मालिनीओ बइठ जासु गाना सीखे. त उनकर गायकी के पहिला पांव त भोजपुरीए में पड़ल. छ साल मिर्ज़ापुर में रहला का बाद मालिनी फेर गोरखपुर आ गइली. पिता डाक्टर प्रमथ नाथ अवस्थी नौकरी में ट्रांसफ़र होत रहसु आ मालिनीओ.

बतर्ज़ तुलसी दास ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया! जइसन भावे में मालिनी के गावत हम गोरखपुर में देखनी. फूलगेनवा न मारो, लगत करेजवा में चोट ! जइसन कठिन गानो ऊ बालपन में गावत रहली अपना बड़की बहिन मल्लिका साथे ते सुनत बने. त भोजपुरी से मालिनी अवस्थी के रिश्ता गर्भ आ नाल के ह. काशीओ में ना सिर्फ़ उ रहल बाड़ी बलुक गिरिजा देवी जइसन आचार्या से उ शास्त्रीय गायकी सीखले बाड़ी. लेकिन बाद के दिन में उ भोजपुरी पर अइसन न्यौछावर भइली कि भुला गइली कि उ शास्त्रीय गायिको हई, कि कबो उ भातखंडे में शास्त्रीय संगीत के विधिवत शिक्षा लिहले रही आ कि भातखंडे में तब के दिन टाप कइले रही. कि उ अवधी वाली हई, कि कन्नौजी वाली हई. लखनऊ विश्वविद्यालय से हिंदी, अंगरेजी आ संस्कृत मतलब तीनों विषय साहित्य ले कर ग्रेजुएशन करे वाली मालिनी अवस्थी हमरा जानकारी में इकलौती भोजपुरी गायिका हई. मनोज तिवारी जी रउरा ना जानत होखब आ कि बहुत कमे लोग जानत होखी कि शायद मालिनी अवस्थीओ अपना भोजपुरी गायकी के जुनून में भुलाइए गइल होखीहें कि एक समय त उ गज़ल गायिका बनल चाहत रहली. पटियाला घराना के उस्ताद राहत अली खां से उ विधिवत गज़ल गायिकी सीखली. आ कि लखनऊ के भातखंडे में उ पढ़े गइलो रही त अपना गज़ल गायिकीए में निखार ले आवे खातिर. लेकिन एक त उ वह बनारस में गिरिजा देवी के संगत में आ गइली दोसरे जुनून धारावाहिक में शिरकत कर बइठली आ फेर जे भोजपुरी के साथ उनकर गर्भ आ नाल का रिश्ता उनकरा माथे चढ़ के बोले लागल कि उ भोजपुरी के बन के रह गइली. भोजपुरी उनकर महतारी बन गइल आ उ भोजपुरी के बेटी, बनारस में रहल त रउरो बानी मनोज तिवारी पर भोजपुरी गायकी के ऊंचाई पर जवना तरह रउरा गइनी, भोजपुरी गायकी के ओही नीचाई पर जवना तरह आप ले अइनी ओकरा के एहिजा केहू से बतवला के ज़रुरते नइखे. भोजपुरी गायकी में जवना तरह रउरा शिखर पर बइठियो के तरह-तरह के बाज़ारु समझौता करत गइनी, एक से एक डबल मीनिंग गाना गावत गइनी, अश्लीलता के पराकाष्ठा वाला गीत गावत समय रउरा इहो भुला गइनी कि भोजपुरी समाज रउरा के कबो देवी गीत गावहू खातिर जानत रहल. अबहियों मंदिर भा तमाम अउरीओ जगहन पर राउर देवी गीत जब तब बजत मिलेला त नीक लागेला. लेकिन जब कुछ अउरी जगहन पर राउर डबल मीनिंग गाना सुनीले त लागेला भोजपुरी गायकी गर्त में चल गइल बा. रउरा चूंकि एक समय भोजपुरी गायकी में शिखर पर रहलीं आ एक से एक लाजवाब गीतो रउरा गवले बानी लेकिन अचानके जब रउरा अश्लील गानो गावे लगनी जाने कवना मोह में त रउरा बाद आवे वाला गायकन के पीढ़ीओ अश्लील गानन में गोते मारे लागल. एह तरह कि अब भोजपुरी गाना के मतलबे अश्लील गाना मानल जाए लागल बा. बालेश्वरो कबो ई गलती कइले रहले बाज़ार के रथ पर चढ़ के. लेकिन बालेश्वर पढ़ल लिखल ना रहले से उनका के त एक बेर माफ कइल जा सकेला लेकिन मनोज तिवारी रउरा त बी. एच. यू. के पढ़ल हईं. रउरा के एह खातिर कइसे माफ कइल जाव? कि भोजपुरी जइसन मीठ बोली आ गायकी के अश्लीलता के बाज़ार में झोंक दिहनी. भोजपुरी के एगो बहुते बडहन गायक रहल बानी मुहम्मद खलील. भोजपुरी के सर्वश्रेष्ठ गायक. उनुका जइसन गायक भोजपुरी में हमरा राय अब ले केहू दोसर ना भइल. अब आगहू खैर का होई. इलाहाबाद में रेलवे में खलासी रहनी. बलिया के रहे वाला रहीं. बहुते मधुर कंठ रहल उहाँ के. बहुते सरल आ विनम्रो रहनी. एक बेर उनुका आ उनुका टीम के नौशाद मुंबई ले गइले. खलील एकाध महीना रहले मुंबई में. बाकिर जब नौशाद उनुका पर गायकी में बदलाव ला दबाव डलले, फ़िल्मी मज़बूरियन के वास्ता दिहले त मुहम्मद खलील गायकी में समझौता से इंकार कर दिहलीं. नौशाद से खलील कहनी कि जरूरत पड़ल त एक बेर अपनो के बेच देब बाकिर भोजपुरी के हम ना बेंच सकी. आ उ मुंबई से इलाहाबाद लवट अइनी बिना कवनो फिलिम में गवले. कहत नीक लागत बा कि मालिनी अवस्थीओ भोजपुरी गायकी में कवनो समझौता ना कइल

ी. बाज़ार के रथ से उ भले दूर रहली बाकिर भोजपुरी के बेंचली ना. कबो कवनो अश्लील गाना ना गवली. केहू के हिम्मत ना भइल उनुका से कहहू के. शारदा सिन्हा आ विजया भारती जइसन गायिको कबो अश्लील गाना ना गवली. कैसेट कंपनियन के जाने कतना प्रस्ताव ई गायिका लोग ठुकरवले. जवन कि रउरा ना ठुकरा पवनी कबो. कल्पना जइसन नीमन गायिको अइसन दबाव में बह गइली कई कई बेर. नतीज़ा सामने बा. भोजपुरी के अश्लील भाषा माने लागल बा लोग. लेकिन भोजपुरी के आन-मान शान जवन अबहियों बाचल बा त सिर्फ एहले कि मालिनी अवस्थी जइसन भोजपुरी के गायिका अश्लील गाना के बाज़ार से भोजपुरी के बचवले बाड़ी. मालिनी अवस्थी हई कन्नौजी, रउरा उनका के अवधी के गायिका कहीं कवनो हर्ज नइखे मनोज तिवारी जी, लेकिन अब मालिनी अवस्थी भोजपुरी के बेटी हई इहो मान लीं. भोजपुरी के एह से भला होखी.

malini-bhagalpurफ़ादर कामिल बुल्के हिंदी के डिक्सनरी लिख सकेले, अमिताभ बच्चन इलाहाबाद के होइओ के गुजरात के ब्रांड अंबेसडर बन सकेले, कवनो भारतीय मूल के आदमी अमरीका भा ब्रिटेन में मिनिस्टर हो सकेला, राम गुलाम मारीशस के प्रधान मंत्री हो सकेले, घरभरन उपराष्ट्रपति हो सकेले त मालिनी अवस्थी बिहार में भोजपुरी के ब्रांड अंबेसडर काहे ना हो सकसु? हो सकेली आ बिलकुल हो सकेली. आखिर उ भोजपुरी के बेटी हई. भोजपुरी के दुनिया में उ जवन सन्मान दिअवले बाड़ी आ जवना गरिमा से दिआवत बाड़ी उ अविरल बा, अदभुत बा. सैल्यूटिंगो. जइसे कन्नौज के इत्र दुनिया भर में महकेला ठीक वइसही कन्नौज में पैदा भइल मालिनी भोजपुरी के मिठास, भोजपुरी के खुशबू भर दुनिया पसारत बाड़ी, शहर-शहर, देश-देश घूम-घूम के. बिहार भोजपुरी अकादमी के फ़ैसला बिलकुल दुरुस्त बा मनोज तिवारी जी, ओकरा के सलाम करीं. मालिनी अवस्थी के मंचन पर भाभी कह के गुहरावत देखले बानी हम रउरा के. मालिनी अवस्थी के उहे मान दीं. भाभी हमहन के भारतीय संस्कार में महतारी जस मानल जाली. त अपना महतारी, अपना माईभासा भोजपुरी के सन्मान करीं. एहसे रउरो मान बढ़ी. भोजपुरी के उत्तर प्रदेश आ बिहार के खाना में बँटबो मत करीं. अवधी-भोजपुरी के खूंटा मत गाड़ीं. एहसे भोजपुरी के नुकसान होखी. सभका के उदारता से मान दीं अबहीं त भोजपुरी आपन दुनु पाँख फइला के उड़ चलल बिया ओकरा के नील गगन के विस्तार दीं. मुनव्वर राना के एगो शेर सुनीं जे उहाँ के कबो हिंदी आ उर्दू के इस्तकबाल में कहले रहीं.

लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुसकुराती है
मैं उर्दू में गज़ल कहता हूं हिंदी मुसकुराती है.

रउरा एहके भोजपुरी-अवधी बा अउरीओ कवनो भाषा के इस्तकबाल में गुनगुना लीं आ जान लीं कि अवधी आ भोजपुरीओ बहिन हईं स. कन्नौजीओ. सगरी भाषा एक दोसरा से जुड़ल सिखावेली सँ. रउरा चाहीं त मुनव्वर राना के एह शेरो में अवधी भोजपुरी के एह रोशनी में देख सकीलें. :

लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुसकुराती है
मैं भोजपुरी में गाता हूं अवधी मुसकुराती है.

का ह कि दीवार भाषा के बीच ना होखे. दिल में होले. एह बात के जाने होखे त लोहिया के पढीं कबो. जान जाएब. एगो वाकया बता के आपन बात खतम करत बानी. मुलायम सिंह यादव एक बेर चेन्नई गइले. करुणानिधि तब मुख्यमंत्री रहले. मुलायम उनुका से मिलल चाहत रहले बाकिर करुणानिधि हिंदी विरोध के चक्कर में उनुका से मिले से इंकार कर दिहले. खैर मुलायम गइले. हवाई अड्डे पर पत्रकार लगो उनका से पूछल कि रउरा एहिजा हमनी पर हिंदी थोपे आइल बानी? मुलायम कहलें, ना हम रउरा सभ पर तमिल थोपे आइल बानी. दोसरा दिने देश भर के अखबारन में ई सुर्खी रहल कि मुलायम तमिल थोपे आइल बाड़े. सुबहे-सुबह करुणानिधि के फ़ोन मुलायम लगे आइल कि हम रउरा साथे नाश्ता कइल चाहत बानी. हमरा घरे आईं. जब मुलायम वापस चले लगलें त उ करुणानिधि से कहले कि रउरा हमरा के अंगरेजी में चिट्ठी मत लिखल करीं. त करुणानिधि फेरू उखड़ गइले आ कहले कि का हिंदी में लिखीं? मुलायम कहलें कि ना, रउरा हमरा के तमिल में चिट्ठी लिखीं, हम रउरा के तमिले में जवाब देब. करुणानिधि के मुह पर ताला लाग गइल. एगो घटना अउरी घटल. तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहले. अमरीकी राष्ट्रपति क्लिंटन के स्वागत होखे के रहुवे संसद में. मुलायम संसद में अड़ गइले कि क्लिंटन के स्वागत भाषण प्रधानमंत्री हिंदी में पढसु. अटल जी के तमाम उठा-पटक के बाद हिंदीए में स्वागत भाषण पढ़े के पड़ल. करुणानिधि फेर भड़कले. इशू बना लिहले. त मुलायम उनका के चिट्ठी लिख के कहले कि रउरा ऐतराज रहल अगर हिंदी पर त हम प्रधानमंत्री जी से स्वागत भाषण तमिल में पढ़े के कहतीं. करुणानिधि फेर चुप लगा गइलन. कहे लगलन कि मुलायम अइसन जवाब दीहें हम ना जानत रहीं. त मनोज तिवारी जी अपना ब्रांड अंबेसडर के अवधी-भोजपुरी के झगड़ा में मत अझुराईं. ओकरा के माहौल दीं भोजपुरी में उड़ान भरे के. ओकरा खातिर धरती आ आसमान के साफ करीं. लड़ही के बा त भोजपुरी के भारतीय संविधान के अठवीं अनुसूची में डलवावे के लड़ाई लड़ीं. भोजपुरी गायकी के अश्लीलता से मुक्त करवावे के लड़ाई लड़ीं. आ एह लड़ाई के अगुवाई के खातिर अपना ब्रांड अंबेसडर मालिनी अवस्थी के सलाम करीं.


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By Editor

7 thoughts on “भोजपुरी के मिठास आ खुशबू दुनिया में मालिनीओ के फइलावे दीं मनोज तिवारी !”
  1. ओमप्रकाश जी , मालिनी जी कबो भोजपुरी के पहचान ना बनि सकेली भोजपुरी के ब्रांडिंग ना कई सकेली काहे की उ कई गो भाषा मे काम करत बाडी आ भोजपुरी के ब्रांडिंग माने भोजपुरी के ब्रांडिंग लोकगीत के ब्रांडिंग ना !

    हमरा उमेद बा की हमार सोच अब किलियर हो गईल होई !

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