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टिकैत त सभे सुनले होई, कुछ लोग टकैतो का बारे में सुनले होखी, बाकिर ई एकदम तय बा कि टकरइत भा टकरैत शायदे केहू सुनले होई. टिकैत का बारे में अधिका लोग इहे जानत होखी कि ई कवनो खास जाति के उपनाम ह. बाकिर असल में ई जाति के उपनाम ना हो के एगो पद के नाम ह. समुदाय के मुखिया के कुछ लोग टिकैत कहेला आ युवराजो खातिर टिकैत के इस्तेमाल होखेला कुछ जगहा. हँ भोजपुरी इलाका में टकैत आ टिकैत के इस्तेमाल ना होखेला. बाकिर टकैत के इस्तेमाल होखे में कवनो दिक्कत ना होखे के चाहीं. काहे कि टकैत भा टकइत ओकरा के कहल जाला जेकरा लगे ढेरे टका होखे.

बंगाल के लोग टका का बारे में बखूबी जानेलें काहे कि एहिजा रुपिया खातिर टका शब्द के इस्तेमाल आम बोलचाल का भासा में खूबे देखे-सुने के मिलेला. बाकिर एहिजा इहो बता दिहल चाहब कि टका संस्कृत के शब्द टंक से बनल ह. टंक चार माशा का बराबर के वजन के नाम रहे. अलग बाति बा कि अब के लोग तोला-माशा-रत्ती का बारे में ना जाने काहे कि ई तौल प्रचलन से खतम हो गइल बा. एक जमाना में टका के सिक्का चाँदी के होखत रहे आ बाद में तांबा के बने लागल. ओह जमाना में बत्तीस टका के एक रुपा होखत रहे. माने कि आधा आना. सोलह आना के रुपिया त आजादी का बादो बहुते बरीसन ले चलल. बाद में सब कुछ पइसा में बदल गइल. सौ पइसा के एक रुपिया. आना भुला दिहल गइल. चवन्नी चललो बंद हो गइल आ अट्ठनी भिखमंगो ना ल सँ.

हँ त बात चलल रहे टकरैत के. एक जगहा पढ़े के मिलल टकरइत शब्द तबे से हमरा माथा में ई शब्द घूमे लागल. हमरा हिसाब से टकरैतो शब्द बहुते सहज लागल आ एकर इस्तेमाल भोजपुरी में चल निकले त अचरज ना होखे के चाहीं. बाकिर टकरइत भा टकरैत होखेला का? तनी मनी सोचे पर जोर लगाएब त एकर मतलब साफ हो जाई, शब्दकोश खोजे के जरूरत ना पड़ी. इहो बात हम पहिले कह चुकल बानी कि समय समय पर नया-नया शब्द उभरत रहेली सँ आ एही चलते शब्दकोशन के नया-नया संस्करण निकलत रहेला. शब्दकोश तय ना करे कि कवन शब्द सही भा कवन गलत. शब्दकोश आम बोलचाल आ साहित्य में इस्तेमाल होखे लागल नया-नया शब्दन के बटोरे आ ओकर सर्वमान्य ना त अधिका लोग के मान्य मतलब बतावेला जेहसे कि पढ़े-सुने वाला लोग ओकर सही मतलब समझ सको.

चलीं शब्दकोश से हट के फेरू टकरइत से टकराइल जाव. विरोधी कई तरह के होलें आ कवनो जरूरी ना होखे कि विरोधी दुश्मनो होखे. बिना दुश्मनी भइलहूँ विरोध करे के जरूरत पड़त रहेला. गाँव-समाज में विरोध के काम पटीदार, गोतिया करेले. आ अकसरहां ई दुश्मनी निकाले खातिर कइल जाला. बाकिर खेल में सामने वाला दल के, राजनीति में सामने वाला गोल के, सामने वाला उम्मीदवार के कवना विशेषण से सजावल जाव? हिन्दी में त प्रतिद्वन्दी शब्द आम बा बाकिर भोजपुरी में प्रतिद्वन्दी शब्द के इस्तेमाल करे में जीभ लटपटाए लागल होखी त उ आदमी एगो सहज शब्द सोच निकललसि – टकरइत. जे टकराए, बार बार टकराए ऊ राउर टकरइत त. टकरइत राउर दुश्मन ना होखे बाकिर ओकरा के हरावल जरूरी होला. अब सोचीं के के राउर टकरइत बा समाज में, पढ़ाई में, राजनीति में, व्यापार में, नौकरी में. आ हम चलनी अपना काम प. ना त हमार टकरइत हावी होखे लगीहें हमरा पर.

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By Editor

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