“सजल प्यार कचनार फुलाइल,
परबत-परबत के घेरा में
लता लाज से लाल भइल
कुछ निरखत संझा के बेरा में
हर मन आंगन रस विलास के
अंजुरिन फूल झरे।”
भोजपुरी-हिन्दी कविता-गीत-नवगीत के यशस्वी रचनाकार स्वर्गीय डॉ परमेश्वर दूबे शाहाबादी जी के 43वीं पुण्यतिथि 20 मई का दिने एगो स्मृति गोष्ठी के आयोजन बिरसानगर में साहित्यकार गंगा प्रसाद अरुण का आवास पर लकीर प्रकाशन के बैनर तरे आयोजित भइल. एह स्मृति गोष्ठी में उपस्थित शहर के कवि,गीतकार अउर साहित्यकार लोग शाहाबादी जी के तस्वीर पर फूल माला चढ़ा के आपन श्रद्धांजलि अर्पित कइल. साहित्य का क्षेत्र में शाहाबादी जी के अवदान के चरचा भइल आ साहित्यकार आ विद्वतजन द्वारा उनुका से जुड़ल आपन संस्मरण सुनवलें.
साहित्यकार गंगा प्रसाद अरुण, डा अमर कुमार सिंह, मनोकामना सिंह अजय, हरिहर राय चौहान आ डा संजय पाठक अपना संबोधन में शाहाबादी जी का साथे बितावल अपना यादगार क्षण साझा कइलें. उनुका व्यक्तित्व अउर कृतित्व पर विस्तार से चरचा भइल. कहल गइल कि साहित्यकार कबो मरे ना, अपना रचनन में ऊ हमेशा जियतार रहेला.
एह मौका पर आरा के साहित्यकार रामयश अविकल के पत्रिका दस्तक के लोकार्पणो कइल गइल.
स्मृति गोष्ठी में जयशंकर दूबे, जीतेश तिवारी, राजेश भोजपुरिया, कुमार हार्दिक, आ अभिनव कुमार वगैरह उपस्थित रहलें.
(- राजेश भोजपुरिया)
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