बदलत समय आ ‘‘पाती’’ के सउँवाँ अंक

by | Apr 30, 2022 | 0 comments

बदलत समय में हमनी का संग, देश-समाज खातिर सोच-विचार आ ‘मत’ के जबर्दस्त द्वन्द चल रहल बा. देसवे ना, बलुक दुनिया में ई द्वन्द आपुसी खेमाबाजी आ आक्रामकता के हद तूरि रहल बा. भौतिक विकास, समृद्धि आ वर्चस्व एक ओर बा त दुसरा तरफ सोच-विचारधारा आ संस्कृति के संघर्ष.

हमनी किहाँ सैकड़न बरिस के गुर्चियाइल गुलामी वाली मानसिकता, आजादी का सात दशक बादो रहि-रहि उफनति बा, बाकिर एसे छुटकारा खातिर जनचेतना नवजागरन का स्थिति में बा. जातिवाद, खानदानवाद, भाई-भतीजावाद आ एही में सउनाइल नकली प्रगतिशीलता आ भरभावे वाला समाजवाद आदि के मुखौटा उतर चलल बा, बाकिर एह वादी लोगन का पुर्वाग्रह आ अहंकार में कमी नइखे आइल. जनजागरन के एसे बड़ सबूत दोसर का होई कि हर क्षेत्र में अनधिकार दखल राखे वाली कथित बुद्विजीवी-बपौती, कब्जा, अतिक्रमण आ मठाघीशी के गहिर नेवं हिले लागलि बा. देश के इतिहास-परम्परा, आस्था आ संस्कृति से खेलवाड़ करे वाला कथित प्रोग्रेसिव सेकुलर राजनीतिज्ञ, बुद्विजीवी लोग सत्ता, पावर आ लाभ के सोर्श’ छिना गइला का क्रोध आ इरिखा में बीखि ढकचत, गोलियाए सुरु क देले बाड़ें. जनचेतना भारत का आत्मा के जगा चुकलि बिया, अतने ना अब ऊ खुल के विघटनकारी आसुरी शक्तियन आ भेद-भाव वाली नकारात्मक राजनीति का खिलाफ लामबन्द हो रहल बिया. अपना मूल आ मूलधारा से जुड़ला के ललक आ ओकरा दिसाई सचेत भइला के लच्छन साफ लउक रहल बा.

आज से 43 बरिस पछिले अपना मातृभाषा भोजपुरी के साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रिका ‘‘पाती’’ निकाले का पाछा हमार मंशा इहे रहे कि सही दिशा का साथ लोगन के एकर वर्तमान बोधो रहे. लोक से जनमल-जुड़ल एह भाषा के मान-सम्मान आ प्रतिष्ठा बढ़े. हम ओह लायक त एकदमे ना रहनी कि कवनो पत्रिका निकाल सकीं. हिन्दी में लिखत-पढ़त रहनी आ बेरोजगारे रहनी. मेहनताना के रूप में हिन्दी पत्र-पत्रिकन से मिले वाली मामूली सहायता से निबुकावल मुश्किल रहे. ओह दारुन-स्थिति में पत्रिका निकाले के संकल्प आ ओके सौ अंक तक ले जाए के जिद आजु पूरा भइल तऽ आँखि लोरा गइलि बिया. एह कठिन मंजिल तक पहुँचावे वाला सब नेही-छोही भोजपुरिया लोगन के आभार का दरसाई? निहोरा जरूर करब कि रउआ सब एह जरत मशाल के संवाहक बनीं।

– डॉ अशोक द्विवेदी,

(पाती के संपादक-प्रकाशक)

पाती पत्रिका के सउँवाँ अंक डाउनलोड क के पूरा पढ़ीं.http://anjoria.com/paati/Paati_100.pdf

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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