नया जमाना

by | Jan 22, 2012 | 0 comments


(थाती)

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 6वी प्रस्तुति)


जन्म: 1906 मृत्यु: 21 जुलाई 1971

पेशा से चिकित्सक, बांसडीह, बलिया निवासी ‘सुमित्र’ जी के एगो प्रौढ़ काव्य-संग्रह भोजपुरी ‘गाँव गिरान’ 1956 में प्रकाशित भइल रहे. राष्ट्रभाषा परिषद् पटना से प्रकाशित “भोजपुरी के कवि और काव्य” में. उनकर नाँव, परिचय आ एगो कविता उद्धृत कइल गइल बा, जवना में उनका काव्य प्रतिभा आ सिरजनशीलता के परतोख मिलत बा. हास्य का साथ सामाजिक विषमता पर गहिर व्यंग से भरल उनका काव्य-संसार में चित्रित समाज के कटु जथारथ मौलिक आ ‘आइरानिकल’ तेवर का साथ उद्घटित भइल बा.


– ‍शिवदत्त श्रीवास्तव ‘सुमित्र’

कवि सब के अस इज्जति भारी, ढेला ढोवत फिरसु उधारी।
परम स्वतंत्र न पढ़ले पिंगल, झंडी लाल तो डाउन सिंगल।

अस सुराज इ लिहलसि चरखा, घुसखोरी के कइलसि बरखा।
कृषि-विभाग अस मिललें दानी, सरगो के ले बितले पानी।

दिहले एक तो लिहले सावा, बोवले धान त फूटल लावा।
कालिज में जब गइले बबुआ, अटके लागल घर के सतुआ।

बाहर गोल्डेन घड़ी कलाई, ढेला फोरसु घर पर भाई।
चाहसु बीबी आवे सहरी, लेइके घूमीं डहरी डहरी।

खर्च एक के तीनि बढ़ाई, कीनसु सीजर अउर सलाई।
कालिज के जे अइली दासी दिहली सासु के पहिले फाँसी।

तजि चोकर ओ अखरा रोटी, घसकल अँचरा लटकल चोटी।
करसु उपाय अब नर्स बने को, जाहि मरद बहु, पूत न एको।

डाक्टर फरके देसु दवाई, दिन-दिन भइली सूखि खटाई।
नित सूई ले सूतसु घामा, असरा में की होइबि गामा।

जस-जस सुई कइलसि धावा, तासु दुगिन चढ़ि रोग दबावा।
अस रंग-रूप बदललीं बीबी, मुँह से खून गिरवलसि टी॰बी॰।


पिछला कई बेर से भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका “पाती” के पूरा के पूरा अंक अँजोरिया पर् दिहल जात रहल बा. अबकी एह पत्रिका के जनवरी 2012 वाला अंक के सामग्री सीधे अँजोरिया पर दिहल जा रहल बा जेहसे कि अधिका से अधिका पाठक तक ई पहुँच पावे. पीडीएफ फाइल एक त बहुते बड़ हो जाला आ कई पाठक ओकरा के डाउनलोड ना करसु. आशा बा जे ई बदलाव रउरा सभे के नीक लागी.

पाती के संपर्क सूत्र
द्वारा डा॰ अशोक द्विवेदी
टैगोर नगर, सिविल लाइन्स बलिया – 277001
फोन – 08004375093
ashok.dvivedi@rediffmail.com

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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