बतकुच्चन ‍ – ८७

by | Dec 1, 2012 | 0 comments


हादसा के दोस नइखे, हदस से मर गइल लोग. आजु जब बतकुच्चन करे बइठनी त पिछला हफ्ता छठ के दिन पटना में भइल हादसा याद पड़ गइल. ओह हादसा का बाद बयान देत मुख्यमंत्री के कहना रहल कि मौत हादसा का चलते ना भइल. लोग हदस में भाग चलल आ ओह भगदड़ में लोग के जान चलि गइल. एहिजा ओह बयान पर कुछ लिखला बोलला से कवनो फायदा नइखे काहे कि मन अनसा जाई लिखे पढ़े में. प्रशासन अनेसा बचावे खातिर लागल रहेला बाकिर कोशिश रहेला कि कवनो तरह कुछ मालो बनावे के मौका मिल जाव. टेम्पोररी काम करावले एह ला जाला कि केहू के परमानेंट बंगला मैंशन बन जाव. डेढ़ करोड़ के खरचा पर शामियाना लागले रहुवे कुछ महीना पहिले पीएम खातिर. से चचरी के पुल बनावले एह ला गइल. ना त कुछ अधिका खरचा कर के पीपा के पुल बन गइल रहित. खैर चचरी ओह चीझु के कहल जाले जवन चरचराय. चचरी के पुले ना बने आड़ आ बाड़ो बनेला. बाँस के चीर के पातर पातर चचरा निकाल के चचरी बनावल जाला. अब ओह चचरी के पुल बना लीं भा दीवाल ई रउरा पर बा. दीवाल माने कि आड़ भा बाड़ बना लिहनी त ओकरा से त चरचराए के आवाज ना आवे जब ले तेज हवा बतास ना बहे बाकिर चचरी के पुल पर जब लोग चलेला त ऊ चरचरात रहेला. अकेला आदमी के ओह पर चले में डर लागी बाकि भीड़ के देखा देखी चलत जाला लोग. आ ओह हामहूम में चचरी के चरचराइल सुनाव ना जब ले कवनो हादसा, दुर्घटना ना हो जाव. ओकरा बाद हादसा का हदस में, डर जब बेहिसाब हो जाव त हदस हो जाला, लोग भाग पराला आ ओह भगदड़ में ना बुझाव कि के केने गिरत बा, के कचरात बा, के चिचियात बा. सभका आपन फिकिर लागल रहेला. पाँच कवर भीतर तब देवता पितर. हम बाची त दुनिया बाचे. हमही ना त दुनिया के बचला ना बचला से का फरक?

अब चिरई के जान गइल लइका के खेलवना. मुए वाला त मू गइलें बाकिर राजनीति के खेल शुरु हो गइल. हमरो मौका मिल गइल बतकुच्चन के एगो कड़ी लिखे लायक मसाला मिल गइल. हादसा, हदस, अनेसा, अनस, चचरी, चचरा के चरचा करे के मौका मिल गइल. अब रउरा एह पर अनसाईं भा चिचियाईं ई रउरा पर बा. अनसाइल आ अँउजाइल एक जस लागतो फरका होला. अनसाइल एक बात पर जाला अँउजाइल बहुत बात पर, अँउजा पथार पर मन अँउजाला आ बे बात के बात पर मन अनसा जाला. एह अनसइला के अनेसा से कवनो नाता रिश्ता ना होला. अनेसा अनिष्ट होखे के डर के कहल जाला. भोला जी दुबर काहे शहर के अनेसा से. अनेसा सही हो जाव त सनेसा, खबर, बन जाला. अलग बाति बा कि सनेसा खाली संदेशे के ना कहल जाव नइहर ससुरारी हित नात किहाँ से आइल भेंट सामग्रीओ के सनेसा कहल जाला. जइसे कि बंगाल में संदेश एगो मशहूर मिठाई हो जाला. छेना के रगड़ रगड़ के तबले पीसल जाला जब ले ऊ महीन हो के संदेश ना बन जाव जइसे कि बतकुच्चन में कवनो बात के पकड़ पकड़ के तबले पीसल जाला जब ले संपादक जी से मिलल जगहा पूरा ना भर जाव. अब लागत बा कि हमार काम पूरा हो गइल से अब चलत बानी. अगिला हफ्ता फेरू भेंट होखी बाकिर भगवान मत करसु कि फेरू कवनो हादसा पर चरचा करे पड़े.

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अँजोरिया के भामाशाह

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24 जून 2023 दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया
(4)
18 जुलाई 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया
(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया

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24 अप्रैल 2024
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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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