
लोक कवि अब गाते नहीं – आखिरी कड़ी
(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) बीसवाँ कड़ी में भोजपुरी के दुर्दशा पर लोक कवि के दुख पढ़ले रहीं अब […]
(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) बीसवाँ कड़ी में भोजपुरी के दुर्दशा पर लोक कवि के दुख पढ़ले रहीं अब […]
भोला बाबू ओह दिन एगो बारात में शामिल रहलन. महफिल जमल त केहू नाचे वाली के इशारा कर दिहल आ ऊ नाचे वाली आके भोला […]
भोला बाबू खीसे फनफनाइल रहलें. पुछनी कि का बात हऽ त बिफर पड़लें. कहे लगले, नीतीश त हदे कर दिहलें. अइसनो कइल जाला ? लोकतंत्र […]
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