अपना मूल के जनला समझला के माने
गँवई लोक में पलल-बढ़ल अगर तनिको संवेदनशील होई आ हृदय -संबाद के मरम बूझे वाला होई, त अपना लोक के स्वर का आत्मीय हिरऊ -भाव के समझ लेई. आज अपना…
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गँवई लोक में पलल-बढ़ल अगर तनिको संवेदनशील होई आ हृदय -संबाद के मरम बूझे वाला होई, त अपना लोक के स्वर का आत्मीय हिरऊ -भाव के समझ लेई. आज अपना…
- डा0 अशोक द्विवेदी कहल गइल बा कि मूरख उलटेला तबो मुरुखे रहेला बाकि साक्षर उलटि के राक्षस हो जाला, "साक्षरा विपरीताश्चेत राक्षसा एव केवलम्.." ! एही तरे कानून क…
- डाॅ. अशोक द्विवेदी 'लोक' के बतिये निराली बा. आदर-निरादर, उपेक्षा-तिरस्कार के व्यक्त करे क टोन आ तरीका अलगा बा. हम काल्हु अपना एगो मित्र किहाँ गइल रहलीं. उहाँ दुइये…
- डाॅ. अशोक द्विवेदी अनेकता मे एकता क उद्घोष करे वाला हमन के महान देश इहाँ क रहनिहार हर नागरिक के हऽ; बाकिर अइसनो ना कि देश के हेठे दबाइ…
- डाॅ. अशोक द्विवेदी बहुत पहिले एक बेर क्रिकेट देखत खा, भारत के 'माही' मिस्टर धोनी का उड़त छक्का के कमेन्टरी वाला 'हेलीकाप्टर शाट ' का कहलस, ओके नकलियावे क…
- डाॅ. अशोक द्विवेदी बुढ़ापा आदमी के अवसान का पहिले क आखिरी पड़ाव (लास्ट स्टेज) ह. शरीर के कमजोरी आ अक्षमता त बढ़िये जाला, ऊपर से परिवार आ समाज के…
- डाॅ. अशोक द्विवेदी आज फजिरहीं बहरा निकलते झमरझम बरखा से सामन भइल. राजधानी घंटन बरखा से नहात रहे. गाँवे़ं फोन लगाइ के एगो सँघतिया से टोह लेहनी त पता…
- डाॅ. अशोक द्विवेदी चउधुरी साहेब के पम्पिंग सेट जब मर्जी होला तबे चलेला. दस लीटर डीजल दिहला पर, तीन चार दिन दउरवला का बाद एक दिन चलल त रामरतन…
बियफे, 6 अगस्त, जंतर मंतर, नई दिल्ली. धरना प्रदर्शन क पेटेन्ट जगह. 'वन रैंक वन पेंशन' पर जुटल जुझारू फौजी भाइयन का धरना-शिविर का सटले, सोझहीं हमनियो का "भोजपुरी भाषा…