– प्रगत द्विवेदी
हमनी के भोजपुरिया लोगन में कम ‘क्रियेटिविटी’ नइखे. जोगाड़ पर काम चलावे आ लोके-लहावे के चलन हमनी क खासियत मनाला. हमनी में से कतने लोग बिना सुबिधा संसाधन आ बे साज-समान के अतना गजब का ऊँचाई प चहुँपल कि देखि के तयजुब होई. बाकि सफलता का ऊँचाई प पहुँचल ए’ लोगन में, अपना लोगन से लगाव आ क्षेत्र से जुड़ाव ओंही तरे बा. सभ जहाँ-तहाँ छिटाइल बा आ अपना काम में लागल बा. भोजपुरी भाषा में लिखला-पढ़ला आ छपला-छपवला के कोसिस अबाध गति से चलत रहेला. ईहो एक तरह के ‘क्रियेटिविटी’ आ जुगाड़-प्रकाशन के प्रमान बा. बस एह लोगन के ‘क्रियेटिविटी’ आ लिखला-पढ़ला के प्रचार प्रसार आ पहुँच नइखे. खास तौर से बड़का-शहरन में. एसे अब ई जरूरी हो गइल बा कि हमनी का भाषा के कवि-लेखक आ अउर तरह के रचनाशील लोगन के अइसन ‘प्लेटफार्म’ भा तगड़ा ‘मंच’ मिले, जहाँ लिखला-छपला आ सुनला-सुनवला के दायरा अउरी बढ़ावे क मोका मिले.
ई प्लेटफार्म देस-दुनिया से जुड़ जाव त का पूछे के? ई तबे संभव होई जब भोजपुरी भाषी लोग आपुस में जुड़िहें. कवनो मजबूत आ स्थायी ‘प्लेटफार्म’ भा ‘मंच’ पद, सम्मान आ निजी ‘ईगो’ से हटिये-हटा के बन सकेला. समय का माँग का मुताबिक अपना भाषा-संस्कृति के, सिरजल साहित्य आ कला के अउरी रोचक आ आकर्षक बना के, अपना भाषा के विकास आ प्रचार-प्रसार के बल दिहल जा सकेला.
‘पाती’ का पछिला अंक में ‘तनी हट-हटा के’ स्तंभ (कालम) का जरिये हमनी का बीच एगो ‘संवाद’ सुरू भइल रहे. ओकरा बाद से अबले, तीन महीना का भीतर हमके जवन समय मिलल, हम सेम्पल-बतकही खातिर 170 गो अइसन लोगन से मिलली, जेकर गाँव-घर यूपी-बिहार के भोजपुरी क्षेत्रन में बा, बाकिर ओ लोगन के रिहाइश आ काम-धंधा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मुम्बई, मध्यप्रदेश आ कलकत्ता आदि में बा.
सर्वे के दायरा में ज्यादातर लोग बीस से पैंतालीस बरिस के आयु-वर्ग के ऊ लोग रहे जे ज्यादातर नोकरी, इन्जीनियरिंग, मैनेजमेन्ट, इस्कूल-कालेज आ सरकारी-सेवा-क्षेत्र से जुड़ल बा. जब ‘पाती’ के अंक ए लोगन के दिहल गइल त ओह लोगन के, एह पत्रिका में छपल सामग्री पढ़े में बड़ा अटपटाह लागल, हालांकि ऊ लोग हिन्दी अखबार सरपट पढ़ि लेव. गीत, गजल आ कविता त ऊ लोग कइसहूँ पढ़ि लिहल बाकि गद्य-विशेष कर कहानी, लेख आ समीक्षा-आलोचना पढ़ला में हवा खराब हो गइल. साइत भोजपुरी पढ़े भा लिखे के ओ लोगन के रपटा (आदत) ना रहे. बोलत-बतियावत ई लोग ज्यादातर ‘हिंग्लिश’ आ अंगरेजी शब्दन के इस्तेमाल करत लउकल भा अंगरेजी शब्दन के भोजपुरियावत.
एह सर्वे में एगो खास जानकारी ईहो भइल कि 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग ‘इन्टरनेट’ पर भोजपुरी का बारे में अनजान रहे. हँ 22 प्रतिशत लोग ‘हवाट्स ऐप’ पर भोजपुरी चुटकुला आ लतीफा के लिखल-पढ़त मजा लेत रहे. कुल्हि मिला के हमके इहे बुझाइल कि कूल्हि खरचा आ मेहनत, आ लिखल-छपावल एगो सीमित दायरा में संचित-संकुचित बा. भोजपुरी के विशाल क्षेत्र आ एह भाषा के बोले-बतियावे वाला बहुते लोग-भोजपुरी में लिखे-पढ़े आ छपे-छपावे वाला लोगन का ‘क्रियेटिविटी’ से पूरा-पूरा परिचित भइला से वंचित बा.
सगरी ‘क्रियेटिविटी’ एगो खास दायरा में घूमत-घोरियावत बा. ई जनला का बाद हमके लागल कि एकरा बाहर अइला आ बिस्तार खातिर निश्चित रूप से एगो प्लेटफारम के जरूरत बा, जहाँ प्रतिभा कौशल से भरल संवाद, बतकही आ ‘क्रियेटिविटी’ के पहुँच आ पइसार (कम्युनिकेशन) बढ़े. भोजपुरी के युवा वर्ग हमनी का ‘भोजपुरी कम्युनिटी’ से जुड़ी त अउर अच्छा होई. नया आ पुरान का मेल-मिलाप आ संवाद का एह मंच से, विचारन के खाद-पानी मिली त नया बीच के अँखुवाए आ बढ़े में बहुत मदद मिली.
त एह दिसाईं, ‘पाती’-मंच अब एगो नया पहल करे जा रहल बा. नया साल 2015 में भोजपुरी भाषा साहित्य आ संगीत-कला खातिर चुनिन्दा भोजपुरी गीतन के सीडी, चुनिन्दा कहानियन या लघु कहानियन के आडियो सीडी आ कम समय का लघु नाटकन का मंचन का दिशा में काम कइल जाई. एह को िसस मे ं हमहन के ज्यादा-जो र ‘ओडियो-विजुअल’ फार्मेट, में होई आ ओकरा के वेबसाइट, कम्प्यूटर आ मोबाइल का जरिये सबके सुलभ करावल जाई. एकरा खातिर जरूरी प्रबन्ध आ संसाधन जुटावे में एगो छोट टीम काम में लाग गइल बिया. ज्यादा आ अउर जरूरी जानकारी ‘पाती’ परिवार का वार्षिक-समारोह (अप्रैल-मई) में दिहल जाई.
एह मंच पर भोजपुरी लिखे पढ़े वाला लोगन का साथ-साथ गायन, वादन आ अभिनय से जुड़ल प्रतिभा संपन्न लोगन के स्वागत बा. हमार ई मान्यता आ विश्वास बा कि लिखला-पढ़ला का जरूरत का साथ, समग्र भोजपुरी सांस्कृतिक रचनात्मकता के पाठक, श्रोता आ दर्शक नाँव के संग्राहकन के ढेर जरूरत बा. टप्पा-टोइंयाँ अलगा-अलगा गोल बना के सरकारी ‘फंड’ आ ‘पद-सम्मान’ का आसरा में, जोगाड़ पानी वाली चकरी से छुटकारा पाके निष्ठा आ लगन से कुछ बढ़ियाँ आ नया कइल ज्यादा सार्थक आ मूल्यवान बा. हमहन के भाषा संस्कृति आ कला आगा बढ़ी आ पसरी त हमहनो क भला होई. इहाँ प्रतिभा अपना लगन आ मेहनत से खुद ब खुद चमकी.
हमनी का क्षेत्र में केतने धुनी आ गुनी लोग बाड़न जे अगर निस्वार्थ भाव से जुटि के सुरिया जइहन त हमनी का साहित्य, कला आ अभिनय के पाठक, श्रोता आ दर्शक तक पहुँचे के जीवनी शक्ति आ राह मिल जाई. तब हमनिये में से बहुत लोग गर्व से कहि सकी कि हमनियो के खूबी आ खासियत राष्टंीय-अन्तर्राष्टंीय तौर पर जानल जा रहल बा. एसे हमनी का भोजपुरी भाषा के शान, स्वाभिमान आ बल-बेंवत के ‘स्वीकार्यता’ (ऐक्सेप्टेन्स) बढ़ी. भोजपुरी भाषा के तेवर आ अन्दाजे-बयाँ कुछ अउर ना रहित, त खाली एकरा मुलम्मा भर से, आमिर खान के ‘पीके’ अतना रुपया आ हलचल ना पैदा करित. हमनियो के आगा आवे वाला समय में अउर प्रभावी बने खातिर अपना अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन) के लोकप्रियता आ स्वीकार्यता (एक्सेप्टेन्स) का दिशा में बढ़वला आ कोसिस कइले से कुछ बात बनी. आ जब बात बने लागी त अपना आपे बदलाव लउके लागी.
एह ‘अंक’ में बस अतने. आगा फेर हट-हटा के कुछ कहल-कइल जाई. नया साल 2015 भोजपुरी ‘क्रियेटिविटी’ के बिस्तार आ लोकप्रियता क साल होखे, एकरा खातिर हमार हिरऊ मंगलकामना!!
(पाती के दिसंबर 2014 अंक से साभार)
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