कालचक्र से कदमताल करते हुए

by | Nov 22, 2013 | 0 comments

भोजपुरी में पहला वेबसाइट शुरू हुआ था अँजोरिया डॉटकॉम. इससे पहले कुछ वेबसाइट अंगरेजी में थे जो भोजपुरी पर केन्द्रित रहते थे परन्तु भोजपुरी भाषा में कोई वेबसाइट नहीं था अँजोरिया से पहले.

फिर बाद में भोजपुरी में बहुत वेबसाइट खुले और आज इनकी संख्या कई दर्जन हो चुकी है. फिर भी एकाध को छोड़ कोई भी वेबसाइट भोजपुरी भाषा और संस्कृति को समर्पित न होकर भोजपुरी गीतों तक ही सीमित है. जैसे आजु के भोजपुरी को बाजार सिर्फ फिल्मो और गीतो में मिला हुआ है वैसे ही भोजपुरी के अधिकतर वेबसाइट या तो फिल्मो से जुड़े हुए हैं या गीतों से.

वैसे किसी को इस पर एतराज भी नहीं होना चाहिए क्योंकि जरूरी नहीं कि हर कोई किसी विषयवस्तु पर सम्पुर्णता में सोचे. हर आदमी स्वतंत्र है अपनी रुचि के हिसाब से विषय चुनने और फिर उस पर केन्द्रित रहने के लिए.

पर अँजोरिया भोजपुरी के लिए समर्पित है और इसे भोजपुरी के हर क्षेत्र पर ध्यान देना पड़ता है. पूरी कोशिश रहती है कि सामग्री भोजपुरी में ही परोसी जाए. लेकिन भोजपुरी के लिए काम करने वाले अधिकतर लोग हिंदी में सोचते हैं, हिंदी में बोलते हैं. हिन्दी में लिखते हैं, और हिन्दी में ही पढ़ते हैं. समझ नहीं आता कि जब सब कुछ हिंदी में ही करना है तो फिर भोजपुरी की चिंता क्यों करते हैं?

मगर जैसे संयुक्त परिवार अपने हर सदस्य का ध्यान रखता है उसी तरह ऐसे भोजपुरीप्रेमियों की भी चिंता करनी चाहिए, उनके लिए भी सामग्री उपलब्ध करानी चाहिए. अब भोजपुरी साहित्य तो हिंदी में दिया नहीं जा सकता सो फिल्मों और गीतों की ही बात हिंदी में करनी होगी.

इस काम के लिए अँजोरिया का यह अध्याय अब उन लोगों को समर्पित है जो हिंदी में पढ़ना चाहते हैं. भोजपुरी में अनुवाद करने में समय लगता है, श्रम लगता है, सो भोजपुरी में चुनिंदा सामग्री ही दी जाएगी. जिन्हें भोजपुरी में पढ़ना है वो अँजोरिया के नए रूप भोजपुरिका पर जाएं. अँजोरिया को अब हम अपने निजी ब्लाग के रूप में बनाए रखेगें.

कुछ शुभचिन्तकों का कहना है कि अँजोरिया दस साल से चलता आ रहा नाम है और उसे इस तरह बीच धार में छोड़ देना ठीक नहीं. मैं भी उनकी बातों से सहमत हूं पर अँजोरिया इतनी बार बाधित हुआ है कि मन दुखित हो गया और मजबूरन हमने नए नाम से उसका प्रकाशन जारी रखा है. इस बार की खासियत यही है कि भोजपुरिका बाधित नहीं होगी. हाँ अगर हम उसका नवीकरण नहीं कराएं तो अलग बात है.

आप के स्नेह के प्रति आभार जताते हुए आशा करता हूं कि आप अपनी कृपादृष्टि भविष्य में भी बनाए रखेगें.

सादर सप्रेम सस्नेह यथोचित के साथ,
आपका,
ओम

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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