गोरखपुर के भोजपुरी संगम के 158 वीं बइठकी

by | Feb 15, 2024 | 0 comments

बरीसन से गोरखपुर में भोजपुरी के काम में लागल भोजपुरी संगम के 168 वीं बइठकी पिछला दिने चंदेश्वर ‘परवाना’ का अध्यक्षता आ अवधेश ‘नंद’ के संचालन में 66, खरैया पोखरा, बशारतपुर, गोरखपुर में बइठल.

बइठकी के पहिलका डेग ‘भोजपुरी कविता में सामाजिक चेतना’ विषय पर बतकही करे में चलल. बतकही के शुरुआत करत यशस्वी यशवंत के आलेख के पाठ करत डा. विनीत मिश्र कहलन कि लोकजीवन लगातार हो रहल बदलाव आ संघर्ष के जीवन हवे, इहे कारण बा कि भोजपुरी में सामाजिक चेतना के हर पहलू का खूबे बरनन भइल बा. आजुओ भोजपुरी में अइसन अनगिन कवि-लिखनिहार भरल बाड़न जे सामाजिक समस्यन के आवाज देत आइल बा आ ओकरा के अपना लिखनई-कवितई में रेघरिअवलो बा.

बतकही के आगे बढ़ावत बागेश्वरी मिश्र ‘वागीश’ कहलन कि भोजपुरी साहित्य में सामाजिक चेतना सिरफ गीत, गवनई, कहानी, नाटके में नइखे रहि गइल बलुक मुहावरन, कहावतन, जोगीरा, संस्कार गीत, श्रम गीत वगैरह अनेके विधा में उजागर होत आइल बा. ई सभ अपना गूढ़ अर्थविन्यास अउर चिंतन का दृष्टि से बहुते खास बा.

जयप्रकाश मल्ल के कहना रहल कि भोजपुरी सिनेमा आ गायकी का जरिए उपजल फूहड़ता सामाजिक चेतना का दृष्टि से एगो कोढ़ बा. (अँजोरिया एह बात से एकदमे असहमत रहत आइल बिया आ आगहूं असहमते रही – संपादक) एह महान चिन्तक के कहना रहल कि भोजपुरी के एह भयावह रोग से उबारे के जिम्मेदारी साँच साहित्यकारने पर बा. (उमेद रही कि आगे चलि के इहाँ के साँच आ झूठ साहित्यकारन के परिभाषितो करब.)

बतकही में डॉ. फूलचंद गुप्त कहलन कि भोजपुरी में फूहड़ता परोसे के दोष साहित्यकार पर ना बलुक नचनियन-गवनियन पर लगावे के चाहीं. कहलन कि हम ओकरे के सुनतो रहीं आ ओकरे के फूहड़ो बतावत रहीं, ई दूरंगी ठीक नइखे.

चंदेश्वर ‘परवाना’ कबीर के पूर्णता में भोजपुरिया कवि बतलवलें आ बतकही सत्र के निष्पक्ष भाव से सरहलें.

संगम के दुसरका डेग में हमेशा का तरह कविता पाठ भइल. एहमें अरविंद ‘अकेला’, नर्वदेश्वर सिंह, कुमार अभिनीत, चन्द्रगुप्त वर्मा ‘अकिंचन’, सूरज राम ‘आदित्य’, सुधीर श्रीवास्तव ‘नीरज’, डा. बहार गोरखपुरी, प्रेमनाथ मिश्र, राम समुझ ‘साँवरा’, निर्मल गुप्त, जय प्रकाश मल्ल, अवधेश ‘नंद’, बागेश्वरी मिश्र ‘वागीश’, डा. फूलचन्द गुप्त आ चन्देश्वर ‘परवाना’ वगैरह कवि अपना सशक्त रचनात्मक प्रस्तुतियन से बइठकी के गौरवान्वित कइल.

आभार ज्ञापन संयोजक कुमार अभिनीत कइलन.

(भोजपुरी संगम के प्रसार प्रभारी सृजन गोरखपुरी के हिन्दी में भेजल विज्ञप्ति का आधार पर भोजपुरी में अनुवाद करे का दौरान अगर कवनो गलती हो गइल होखे त ओकर दोष अनुवादक के बा.)

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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