जोश-जुनून पक्का हो तो मंजिल मिलती ज़रूर है. ये अलग बात है कि सबको एक सामान अवसर नहीं मिलता है. काशीनाथ जायसवाल के साथ भी कुछ ऐसा ही घटित हुआ है. वह आये थे अभिनेता बनने, पर जब अच्छा अवसर नहीं मिला तो उन्होंने कुछ ठोस निर्णय लिया और आज वह ‘‘जान हमार’’ के निर्माता-निर्देशक हैं. काशीनाथ जायसवाल ने अपनी फिल्म और अपने संघर्षरत कैरियर को लेकर लम्बी बातचीत की. प्रस्तुत है वार्तालाप के संक्षिप्त अंश :
‘‘जान हमार’’ अप्रैल में प्रदर्शित कर रहे हैं.
– फिल्म रोमांटिक है. राधा नाम की एक ज़मींदार पुत्री है, जिसे कृष्णा नाम के एक मनचले युवक से प्रेम हो जाता है. लेकिन, लड़की का पिता इस राह का रोड़ा बना खड़ा रहता है. आगे क्या होता है, यही है फिल्म की खूबसूरती.
सामान्य भोजपुरी से कितनी अलग है ‘‘जान हमार’’?
– बिल्कुल अलग है. मुझे तो लगता है पिछले दो दशक से भोजपुरी में इतनी साफ-सुथरी अच्छी फिल्म नहीं आयी है. इसमें विशुद्ध मनोरंजन है, मगर, सब कुछ शालीनता के साथ है. सीमा सिंह पर आईटम नम्बर भी है. लेकिन, वह दूसरी फिल्मों से बिल्कुल अलग है.
कलाकार कौन-कौन से हैं?
– कल्पना शाह नायिका हैं. इतनी खूबसूरत वह पहले कभी न दिखी हैं. उनके साथ एक नवोदित अभिनेता प्रेम सिंह हैं. प्रेम ने भी बहुत अच्छा काम किया है. साथ में शाहबाज खान और अली खान भी हैं. फिल्म शानदार बनी है.
गीत-संगीत कैसा है?
– बनारस घराने के पं. राजा भट्टाचार्य का संगीत है, जो बिल्कुल ही मंत्र-मुग्ध कर देनेवाला है. मृत्युंजय श्रीवास्तव के गीत भी अच्छे हैं.
अब अपनी संघर्ष कथा बताएं?
– पैंतीस वर्ष पहले बनारस से बंबई आया था एक्टर बनने. एकाध फिल्मांे में काम मिला पर संतोष नहीं हुआ. जानेमाने फिल्म पी.आर.ओ. समरजीत जी से मुलाकात हुई. मैंने उनसे आग्रह किया कि मेरा भी फोटो छापें. पर उन्होंने कहा, अपने को उस लायक बनाईए कि लोग काशीनाथ को ढूंढ कर छापें. आज ईश्वर की कृपा से मैं निर्माता-निर्देशक बन गया और फिल्म में एक चरित्र भूमिका भी निभायी है. तब की सारी बातें मुझे याद हैं और इस फिल्म का प्रचार कार्य मैंने समरजीत जी को ही सौंप रखा है.
फिल्म की विशेष बात?
– ‘‘जान हमार’’ की शूटिंग कोलकाता और इलाहाबाद के खूबसूरत लोकेशनों पर फिल्मायी गयी है. पारसनाथ सिंह क्रियेटिव डायरेक्टर हैं और इस फिल्म को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान है.
(समरजीत)
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