भागे लगबऽ त भागते जाए के पड़ी आ कहांले भगबऽ, कहवाँ भगबऽ ?
भारत दैट इज इंडिया इतिहास में आर्यावर्त, भारत, आ हिन्दुस्थान का नाम से जानल जात रहुवे. एहिजा जब मुगल आक्रांता अइलें तब से देश में रहे वाला हिन्दूवन का खिलाफ कई बेर हिंसा के ताण्डव भइल बा. इहो नइखे कि एहिजा दोसरा मजहब के लोग दंगा के शिकार नइखे भइल. सबले शान्त मानल जाए वाला पारसियनो के दंगा झेले के पड़ल बा. हाल फिलहाल के दू गो दंगा देश के मानस के झकझोर दिहलसि बाकिर दुख के बात बा कि एह दंगन के अभिशाप झेले वाला अधिका लोग एकरा के भुला दिहलें. ना भुलइलें त मुसलमान आ उहो एह चलते कि देश के एगो जमात, जवना में मुसलमान कम हिन्दू बेसी शामिल बाड़ें, साल 2002 के दंगा के आग कबो बुताए ना दिहलें.
केरल के मोपला नरसंहार, कलकत्ता के डायरेक्ट एक्शन, हैदराबाद के रजाकारन के करतूत, टीपू के अत्याचार वगैरह हिन्दू या त भुला दिहलन या उनुका से भुलवा दीहल गइल. नोआखाली, भागलपुर, मुजफ्फरनगर वगैरह के दंगा मुसलमानन के एह ले याद ना राखे दीहल गइल कि ऊ सगरी या त कांग्रेस का राज में भा दोसरा विपक्षियन के सरकार का दौरान भइल रहल.
हिन्दू अगर मोपला, कलकत्ता, हैदराबाद, कश्मीर, गोधरा भुला जइहें त आगा चलि के बंगाल, कैराना, केरलो के भुलाए खातिर अभिशप्त हो जइहें. पारसी अगर 1851, 1857, 1874 के दंगा भुला जइहें आ सिख साल 1984 के दंगा त ओहू लोग के इतिहास बनत देर ना लागी. मुसलमान अपना पर भइल अत्याचार कबो ना भुलास आ अपना मजहब ला जान देबे भा जान ले लेबे में यकीन करेलें त ओकर परिणाम सभका सोझा बा. शायदे केहू होखी जे मुसलमानन से अझूराए के गलती करी. अलग बात बा कि देश में दंगन के इतिहास देखीं त अधिकतर में एक पक्ष मुसलमाने भेंटइहे. एही चलते देश के संसाधनन पर मुसलमानन के पहिला अधिकार के बात करे वाली कांग्रेसी सरकार एक बेर कानूने बना देबे के कोशिश कइले रहल कि दंगा केहू शुरु करी दोषी बहुसंख्यक हिन्दुवने के मानल जाई.
दंगा केहू करे, केकरो खिलाफ करे ओकरा के माफ ना करे के चाहीं. माफ करियो दीं त भुलाए के गलती कबो ना करे के चाहीं. क्षमा बड़न को चाहिए छोटन के अपराध का उक्ति में विश्वास करे वाला बहुसंख्यक अपना पर भइल अत्याचारन के भुला देसु त एक बेर त समुझ में आवे वाली बात बा. बाकिर कवनो अल्पसंख्यक कौम एह तरह के अत्याचार भुला देव त दुख आ अचरज दुनू होला. एहसे कि आगहूं ओकरा संगे अइसने वारदात होखे के अनेसा से इंकार ना कइल जा सके.
हमरा कई बेर अचरज होला कि सिख कइसे कांग्रेसियन का साथे बनल रह गइलें. डर से, लालच से, भा बेवकूफी से. हर आदमी के कोशिश करे के चाहीं कि दोसरा पर कवनो अत्याचार ना करे बाकिर अपना पर होखे वाला हर अत्याचार के डट के मुकाबला करे. भागे लगबऽ त भागते जाए के पड़ी आ कहांले भगबऽ, कहवाँ भगबऽ ?
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