पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की स्थिति दर्शाती साहसिक फिल्म पाकिस्तान में जयश्रीराम

by | Dec 31, 2017 | 0 comments

भुपेन्द्र विजय सिंह की ‘पाकिस्तान में जयश्रीराम’ उनकी पिछली फिल्म ‘गदर ‘ की तरह ही पाकिस्तान की धूर्तगिरी की गाथा गढ़ती है। अतीत की घटनाओं पर पीरियड फिल्में बनाना मुष्किल काम है, लेकिन अपने वर्तमान को पैनी नजर के साथ चित्रबद्ध करना भी आसान नहीं है। भुपेन्द्र विजय सिंह इसे सफल तरीके से रच पा रहे हैं। जो अन्य फिल्मकारों के लिए यह प्रेरक है। भुपेन्द्र विजय सिंह और बबलु गुप्ता ने निर्देशक रमाकांत प्रसाद के जरिये इस बार पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की स्थिति को चुना है और बताने का प्रयास किया है कि कैसी पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थिती है। वहां हिन्दुओं के मंदिर पर ताला लगा है और लोग घरो में पूजा कर रहे है। खलकिरदारों का मकसद साफ है कि हिन्दुमुक्त पाकिस्तान बनाना। और ऐसे में नायक विक्रांत का वहां पहुंचकर मंदिर का ताला खोलकर आरती करना और उसके बाद के हालात पर वाकई फिल्म बनाना एक साहसिक कदम ही है। भुपेन्द्र विजय सिंह के शिल्प में चमक और चकाचौंध नहीं रहती। वे पूरी सादगी से किरदारों की जिंदगी में उतरते हैं और भावों का गागर भर लाते हैं। दरअसल, कंटेंट की एकाग्रता उन्हें व फालतू साज-सज्जा से बचा ले जाती है। वे किरदार के मनोभावों और अंतर्विरोधों को कभी संवादों तो कभी मूक दृश्यों से जाहिर करते हैं। इस फिल्म में उन्होंने मुख्य कलाकारों की खामोशी और संवादहीन अभिव्यक्ति का बेहतरीन उपयोग किया है। निर्देशक रमाकांत प्रसाद नायक का किरदार गढ़ने के विस्तार में नहीं जाते। ‘गदर ‘ की तरह ही वे नायक के प्रति दर्शकों की सहानुभूति नहीं चाहते। फिल्म पाकिस्तान में जयश्रीराम का नायक विजयी होता है लेकिन स्थायी प्रभाव बढ़ा देता है। यह फिल्म आपको अमेठी के खुबसुरत लोकेशन भी दिखाते हैं। अमेठी से सटे शुकुल बाजार और वहां नदी का किनारे पर आपको आपके गांव की याद दिला देते हैं।

इस फिल्म के नायक विक्रांत ने किरदार की भाव-भंगिमा के साथ उसकी हंसी, खुशी और उदासी को यथोचित मात्रा में इस्तेमाल किया है। उन्होंने अभिनय का मापदंड खुद के साथ ही दूसरों के लिए भी बढ़ा दिया है। उन्होंने यादगार अभिनय किया है। पाकिस्तान में जयश्रीराम एक साहसिक फिल्म है।आपको बतादें कि इस फिल्म का सेंसर बोर्ड से विवाद के कारण एक बार इसका रिलीज डेट तक आगे बढ़ा दिया गया था। इस फिल्म के रिलीज से पहले फिल्म को लेकर दर्शकों में गजब का उत्साह था और फिल्म पाकिस्तान में जयश्रीराम जब रिलीज हुयी तो दर्शकों की पसंद पर ख्ररी उतर रही है। इस फिल्म को दर्शक काफी पंसद कर रहे हैं। ड्रेड पंडितों की मानें तो यह फिल्म काफी अच्छी बनी है और दर्शकों को बांधकर रखती है। बिग बास की मोनालिसा और विक्रांत सिंह इस फिल्म के प्लसप्वाईंट तो हैं ही साथ ही फिल्म का सबसे बड़ा प्लस प्वाईंट है कि यह फिल्म बड़े कैनवास पर फिल्मायी गयी है तो फिल्म के पर्दे पर दिखता भी है। इस फिल्म का निर्माण किया है भुपेन्द्र विजय सिंह और बबलु गुप्ता ने जिन्होने २०१६ की सबसे बड़ी कामयाब फिल्म गदर का निर्माण किया था। पवन सिंह अभिनित गदर वर्ष २०१६ में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म साबित हुयी थी। अब आईये बात करें इस फिल्म में क्या क्या खामियां हैं। इस फिल्म का नायक बजरंग बली का भक्त रहता है मगर उसके गले में ओम का लाकेट रहता है। पाकिस्तान में जो गाड़ियां दिखायी गयी हैं उसका नंबर बिहार का बताया गया है। इसी तरह इस फिल्म में एक्शन की भरमार है हालांकि ये भी कहा जासकता है कि कहानी की डिमांड के अनुसार ऐसा किया गया। फिल्म के एक सीन में जब नायक विक्रांत पाकिस्तानी लोगों से कहते हैं कि तुम लोग औरतों को समझते क्या हो। सात आठ बच्चा पैदा किया और ले लिया तीन तलाक। ऐसे सीन देखते समय आपको लगेगा कि ऐसे सीन कहीं विद्रोह ना पैदा कर दें।

फिल्म पाकिस्तान में जय श्रीराम की खूबी है कि यह फिल्म देशभक्ति के दायरे में दौड़ने की कोशिश नहीं करती। हां, जरूरत के अनुसार देश, राष्ट्रीय ध्व़ज, भारत सरकार सभी का उल्लेख होता है। एक खास दृश्य में पाकिस्तान में अपना झंडा देख कर हमें उस पर गुमान और भरोसा भी होता है। यह फिल्म हमें अपने देश की एक बड़ी घटना से परिचित कराती है जो पाकिस्तान में फिल्म के नाय विक्रांत सिंह के साथ घटित होती है। भोजपुरी फिल्में आमतौर पर फंतासी प्रेम कहानियां ही दिखाती हैं। कभी समाज और देश की तरफ मुड़ती हैं तो अत्याचार, अन्याय और विसंगतियों में उलझ जाती हैं। सच्ची घटनाओं पर जोशपूर्ण फिल्मों की कमी को दुर करेगी यह भोजपुरी फिल्म । राजपूत फिल्म्स फैक्ट्री के बैनर तले बनी इस भोजपुरी फिल्म में विक्रांत और मोनालिसा की जोड़ी साथ नजर आयेगी। फिल्म का संगीत और संवाद भी तैयार किया है खुद निर्देशक रमाकांत प्रसाद ने। फिल्म को कैमरे में कैद किया है राम के.सी. और इमरान ने। जबरदस्त मारधाड़ से भरी इस फिल्म के एक्शन को निर्देशित किया है हीरा यादव ने जबकि फिल्म के कार्यकारी निर्माता हैं गौरव सिंह । फिल्म के नृत्य निर्देशक हैं संजय कोेरबे, ज्ञान सिंह और मोेना किट्टी। कथा पटकथा वीरू ठाकुर और सरोज पंडित ने तैयार किया है। विक्रांत सिंह राजपूत तथा मोेनालिसा के अलावा नेहा सिंह, अवधेश मिश्रा, हीरा यादव, धामावर्मा, बालगोविंन्द बंजारा, प्रेमप्रधान, उल्हास कुडवे और सोनिया मिश्रा की मुख्य भूमिका है। पाकिस्तान में जयश्रीराम आपको पाकिस्तान के नापाक इरादों को कुचलने के साथ ही फिल्म के नायक की एक ऐसी जाबांजी दिखाती है कि आप चौक जायेंगे। अब इस फिल्म का प्रदर्शन २६ जनवरी से बिहार और झारखंड में किया जारहा है।


(शशिकांत सिंह)

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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